बैंकों का नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (एनपीए) बढ़ रहा है। बैंकों को दिए गए लोन को वापस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने किसी एक कॉरपोरेट घराने को दिए जाने वाले कर्ज की सीमा बैंक की पूंजी के 25 प्रतिशत तक सीमित करने का प्रस्ताव किया है। अभी यह सीमा 55 प्रतिशत तक है।
आरबीआई की ओर से जारी मसौदा प्रपत्र में यह स्पष्ट किया गया है। इसमें कहा गया है कि प्रस्तावित बड़े निवेश का नियम पूर्ण रूप से 1 जनवरी, 2019 से लागू होगा। इस पर अंशधारकों से 30 अप्रैल तक टिप्पणियां मांगी गई हैं। बैंकिंग निगरानी पर बासेल समिति (बीसीबीएस) ने भी बैंकों की अपनी पूंजी के हिसाब से कर्ज को सीमित रखने की जरूरत की पहचान की है। रिजर्व बैंक का प्रस्ताव पूंजी पर्याप्तता संबंधी बासेल नियमों पर आधारित है।
एनबीएफसी के लिए रेटिंग
आरबीआई ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए नियमन में संशोधन करते हुए उन्हें मार्च, 2016 तक अपनी रेटिंग कराने का निर्देश दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि निवेश ग्रेड की रेटिंग हासिल करने में विफल रहने वाली एनबीएफसी को नई जमाएं नहीं स्वीकार करनी चाहिए और न ही उन्हें पुरानी जमाओं का नवीकरण करना चाहिए।