वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने कहा है कि मीडिया देशहित के बदले कॉरपोरेट हित में काम कर रहा है। यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है, जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा आहत हो रही है। इससे पिछड़े व वंचित वर्ग के सरोकारों पर कुठाराघात हो रहा है। शनिवार को पटना में सामाजिक संस्था बागडोर के तत्वावधान में आयोजित मंडल संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया धर्म संसद व लव जेहाद जैसे शब्दों की आड़ बहुसंख्यक समाज के हितों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने कहा कि मंडल आयोग सिर्फ आरक्षण का मसौदा नहीं है। इसने सामाजिक व्यवस्था को भी बदला है।
राज्यसभा सांसद अली अनवर ने कहा कि मंडल आयोग की सिफारिश ने एक आंदोलन को जन्म दिया था। इसमें सरकारी नौकरियों में आरक्षण एक पक्ष था, जबकि इसने पूरे समाज व्यवस्था को प्रभावित किया। इसका राजनीति में इतना व्यापक बदलाव आया कि कई राज्यों में पिछड़ों के हाथों में सत्ता चली आयी। उन्होंने कहा कि पिछड़ों को हिन्दू और मुसलमान के रूप में नहीं देखना चाहिए। पिछड़े सब पिछड़े हैं, समाज व्यवस्था में दोनों समान रूप से पीडि़त हैं।
जगजीवनराम संसदीय अध्ययन और शोध संस्थान के निदेशक व वरीय पत्रकार श्रीकांत ने कहा कि ठेका प्रथा ने सरकारी क्षेत्र में नौकरियों का अवसर समाप्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय के लिए आंदोलन होना चाहिए। इसके लिए भूमि सुधार सबसे कारगर हथियार है। इसका संचालन संतोष यादव ने किया। इस मौके पर पूर्व सांसद एजाज अली, विधान पाषर्द रामबचन राय, पूर्व विधायक रामानुज प्रसाद, पूर्व विधान पार्षद प्रेमकुमार मणि, पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य जगनारायण सिंह ने भी सभा को संबोधित किया।