उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट कर दिया कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की विशेष अदालत में सुनवाई के दौरान जारी किसी आदेश के खिलाफ याचिका की सुनवाई शीर्ष अदालत खुद करेगी। शीर्ष अदालत का यह आदेश उद्योगपति नवीन जिंदल, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एवं देवेन्द्र दर्डा आदि के लिए करारा झटका माना जा रहा है, जिन्होंने याचिका दाखिल करके कहा था कि विशेष अदालत के अंतरिम आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दने की इजाजत दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि कानून में प्रावधान है कि निचली अदालत के किसी भी आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जा सकता है और ऐसा करना उनका कानूनी अधिकार है।
हालांकि न्यायालय ने उनकी इन दलीलों को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ ने न्यायालय के 25 जुलाई 2014 के आदेश पर फिर से विचार करने से इन्कार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के अंतरिम आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
न्यायालय ने अपने पूर्व के आदेश में कहा था कि कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान विशेष अदालत के किसी भी अंतरिम आदेश को केवल शीर्ष अदालत में ही चुनौती दी जा सकेगी। न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि वह 25 जुलाई 2014 के इस आदेश की समीक्षा करना उचित नहीं मानते। न्यायालय का आज का आदेश श्री जिंदल सहित कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले के विभिन्न आरोपियों की याचिकाओं पर आया है जिनमें यह पूछा गया था कि क्या कोलगेट मामले की सुनवाई के दौरान विशेष अदालत के अंतरिम आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है या नहीं?