इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज उत्तर प्रदेश में गौतमबुद्धनगर के बहुचर्चित निठारी काण्ड के दोषी सुरेन्द्र कोली की फांसी की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई.चन्द्रचूड और न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल की खण्डपीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया। बहुचर्चित निठारी काण्ड में रिम्पा हलदार नामक एक 12 वर्षीय बालिका की बलात्कार के बाद हत्या किए जाने के आरोप में सबसे पहले कोली को गाजियाबाद की विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी।
अदालत का यह फैसला इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा। राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी। राष्ट्रपति के यहां से दया याचिका खारिज होने के बाद गत वर्ष 14 अक्टूबर को फांसी की तिथि मुकर्रर हो गयी थी। फांसी देने की तिथि की पूर्व सन्ध्या पर उच्चतम न्यायालय ने अगली सुनवाई तक स्थगित कर मामला उच्च न्यायालय वापस कर दिया।
कानूनी दांव पेंचो के बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज उसकी फांसी की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी। इसी मामले में सहअभियुक्त रहे मोनिन्दर सिंह पण्डेर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय पहले ही बरी कर चुका है। निठारी काण्ड में रिम्पा हलदार समेत 14 लड़कियों की हत्या का मामला प्रकाश में आया था। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गयी थी। कोली पर आरोप था कि वह लड़कियों से बलात्कार के बाद हत्याकर उनके मांस को खा लेता था।