कोसी में बाढ़ की आशंका को देखते हुए चौतरफा सतर्कता बढ़ा दी गयी है। एनडीआररएफ की टीम भी पहुंच गयी है और राहत व बचाव कार्य भी तेज कर दिया है। तटबंध के बीच में बसे गांवों से लोग निकल कर तटबंध पर आ रहे हैं या अन्य ऊंची जगहों पर पहुंच रहे हैं। कोसी में पानी कितना आएगा, अभी इसका कोई अनुमान नहीं है। लेकिन सावधानी बरती जा रही है। इस बीच मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने बाढ़ प्रभाविक इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और राहत कार्यों की तैयारियों का भी जायजा लिया।
मुख्यमंत्री जीतन राम मांङी ने रविवार को कोसी क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद वीरपुर कोसी निरीक्षण भवन में जल संसाधन विभाग के अभियंताओं व अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को संभावित खतरे पर पैनी नजर रखने का निर्देश दिया और किसी भी हालत से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा। साथ ही कोसी के लोगों को आश्वस्त किया कि सरकार के पास बचाव के लिए पर्याप्त समय है और किसी भी सूरत में जानमाल का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने माना कि नेपाल के भोटे में भूस्खलन से कोसी नदी की धारा रूक गई है और वहां लगभग 28 लाख क्यूसेक पानी जमा हो गया है। इससे खतरे की आशंका बनी हुई है, लेकिन सरकार के पास तीन दिन का समय है और हम विशेषज्ञ अभियंताओं के सहारे हालात से निपटने में जुटे हैं।
उध्र, नेपाल में भूस्खलन से सप्तकोसी की धारा में को नेपाल की सेना छोटे-छोटे सुराख बनाकर पानी को बहने का रास्ता देने का प्रयास कर रही है। अभी जितना पानी निकला है, उससे बहुत बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन भूस्खलन से 28 लाख क्यूसेक पानी एक किलोमीटर दायरे में जमा है और उसे निकालने के लिए ब्लास्ट आवश्यक माना जा रहा है। अगर ब्लास्ट की नौबत आई तो स्थिति विकट बन सकती है। इस बीच केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को फोन कर स्थिति की जानकारी ली और केन्द्र से हर संभव सहायता देने का भरोसा दिया है। उधर राजद सांसद पप्पू यादव ने नेपाल दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्थाई समाधान की मांग की है।