बिहार सरकर द्वारा एक जरा सी बात पर निलंबन. तीन दिनों में अदालत द्वारा निलंबन पर रोक, और फिर एक साल से विवादों में रहे पटना नगरनिगम के कमिश्नर और आईएएस कुलदीप के बारे में और जानें
2005 बैच के आईएएस अफसर कुलदीप नारायण के सर से फिलहाल संकट टल गया है. उन्हें सस्पेंड करने के बिहार सरकार के फैसले पर अदालत ने रोक लगा दी है, पढें कौन हैं कुलदीप.
नौकरशाही डेस्क
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पटना नगर निगम पिछले तीन सालों से घोर अनियमितता, लापरवाही और अपने कामों को अंजाम न देने के आरोपों से घिरा है. ऐसे में नगर विकास विभाग ने कमिश्नर कुलदीप नारायण को स्सपेंड करने की सिफारिश कर दी ती. पिछले शुक्रवार को सरकार ने देर रात उन्हें निलंबित कर दिया, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने फिलहाल निलंबन पर स्टे लगा दिया है. अदालत में बहस चलेगी. दलीलें दी जायेंगी पर इतना तय है कि कुलदीप के निलंबन की बुनियाद कमजोर है और नतीजा उनके पक्ष में जायेगा.
विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने नोटिस जारी कर उनसे पांच बिन्दुओं पर जवाब मांगा गया था. लेकिन इस नोटिस का जवाब देते हुए कुलदीप नारायण ने निगम के गतिरोध के पीछे वहां की राजनीति को दोषी ठहराया.
दर असल निगमायुक्त को लेकर राज्य सरकार बेबस हो चुकी है. वह चाह कर भी उनका ट्रांस्फर नहीं कर सकती क्योंकि हाईकोर्ट ने उनके ट्रांस्फर पर रोक लगा रखी है. हाईकोर्ट ने राजधानी में अवैध निर्माण के खिलाफ चल रहे निगरानीवाद के निपटारे तक निगमायुक्त को पद पर बने रहने की हिदायत दे रखी है. इसी बात को बुनियाद बना कर अदालत ने सरकार से पूछा कि निलंबन से पहले सरकार ने क्यों नहीं अदालत से राय ली. सरकार क मन में खोट है.
8 सितमंबर 1980 को उत्तर प्रदेश में जन्मे कुलदीप नारायण 2005 बैच के आईएएस हैं. उन्होंने आईआईटी कानपुर से मेकेनिकल इंजीनियिरंग में सन् 2000 में बीटेक किया. कुलदीप की पहली पोस्टिंग असिस्टेंट कोलेक्टर के रूप में मुजफ्फरपर में हुई. 25 जुलाई 2007 को वह नालंदा के एसडीओ बनाये गये. 2009 में वह ग्रामीण विकास विभाग बिहार सरकार में ज्वाइंट सेक्रटरी बनाये गये. जबकि जुलाई 2020 में वह पुल निर्माण निगम के चेयरमैन की हैसियत से योगदान किया. वह छपरा और मुंगेर में डीएम भी रहे.
विवादों में घिरने के बाद कुलदीप नारायण का करियर कई तरह की चुनौतियों से घिर गया है. हालांकि आईएएस एसोसिएशन उनके संकट के समय उनके संग खड़ा रहा है लेकिन आगे आने वाले दिनों में उनकी चुनौतियां और बढ़ेंगी.