केंद्र सरकार कह आधार योजना क्या अनिवार्य किया जा सकता है? इस पर कल यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर तय करेगी. मालूम हो कि आधार की अनिवार्यता पर शुरू से ही सुप्रीम कोर्ट का रूख प्रश्नात्मक रहा है. मगर केंद्र की सत्ता में बैठी सरकार इसको जरूरी बताते हुए बचाव करती रही है. मगर अब आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ बुधवार को फैसला सुनाएगी.
नौकरशाही डेस्क
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि आधार अनिवार्य नहीं किया जा सकता और यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. याचिकाकर्ताओं ने आधार कानून पर भी तर्क दिया कि आधार ने सरकार के राजकोष में 55000 करोड़ रुपये बचाए हैं. यह कानून के रूप में नहीं रह सकता. जबकि सरकार की ओर से कहा गया है कि जिनके पास आधार नहीं है उन्हें किसी भी लाभ से बाहर नहीं रखा जाएगा.
आधार सुरक्षा के उल्लंघन के आरोपों पर केंद्र ने कहा कि डेटा सुरक्षित है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता. केंद्र ने यह भी तर्क दिया कि आधार समाज के कमजोर और हाशिए वाले वर्गों के अधिकारों की रक्षा करता है और उन्हें बिचौलियों के बिना लाभ मिलते हैं. मालूम हो कि इस मामले में 10 मई को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई पूरी हो गई थी और संविधान पीठ ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. पांच जजों की संविधान पीठ को तय करना है कि आधार निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है या नहीं.