आईएएस दिवेश सेहरा पर कभी एक कर्मी के लेट आने पर उट्ठक-बैठक कराने का आरोप लगा था अब उन्होंने एक ही परिवार के तीन लोगों को बारी-बारी निलंबित कर दिया है पढ़िए उनकी तानाशाही के किस्से.
इर्शादुल हक
क्या यह सीवान डीएम का तानाशाही रवैया है या उनके मातहत कर्मी द्वारा अपने बॉस से टकराने की जुर्रत का नतीजा पढ़ें कि कैसे डीएम ने बारी-बारी से एक परिवार के तीन कर्मयों को निलंबित कर दिया.
सिवान समाहरणालय के असिस्टेंट विनोद सिन्हा ने डीएम दिवेश सेहरा की शिकायत मानवाधिकार आयोग तक पहुंचाते हुए पूरी आपबीती सुनाई है. विनोद ने लिखा है कि डीएम ने पहले उन्हें निलंबित कर दिया. कुछ दिनों बाद समाहरणालय में कार्यरत उनकी पत्नी शीला सिन्हा को भी निलंबित कर दिया गया. फिर इसी कार्यालय में कार्यरत विनोद के भाई का भी यही हश्र किया गया.
कर्मी को उट्ठक-बैठक भी कराने का आरोप
दिवेश सेहरा 2005 बैच के बिहार कैडर के आईएएस हैं. 2007 में जब दिवेश गया में थे तो एक बुजुर्ग कर्मी के लेट आने पर उन्हें सौ बार उठ्ठक- बैठ्ठक करने की सजा दी थी. इस मामले में 55 वर्षीय अखौरी सुशील ने गया अदालत में धारा 303, 504 और 506 के तहत शिकायत दर्ज करायी थी. इतना ही नहीं आईएएस दिवेश पर सुशील ने यह भी आरोप लगाया था कि अपने बुढ़ापे के कारण सौ बार उट्ठक- बैठक पूरा न करने पर उन्होंने ओर अपमानित और प्रताड़ित किया था. यह मामला इतना गंभीर हो गया था कि अराजपत्रित कमचारी संघ ने दिवेश के खिलाफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी शिकात की थी.
इधर ताजा मामले में विनोद ने मानवाधिकार में दायर अपने तहरीरी बयान में कहा है कि उन्हें यह सब इसलिए झेलना पड़ा क्योंकि उन्होंने मेडिकल बिल की राशि न मिलने पर मामले की शिकायत अदालत में पहुंचा दी.
हालांकि डीएम दिवेश सेहरा ने दैनिक जागरण को बताया है कि “काम से भागने व अनियमितता बरतने के मामले में विनोद सिन्हा को दोषी पाया गया था. इसके बाद ये निलंबित किए गए. इन पर दो एफआइआर दर्ज करायी गयी है.अब इनको बर्खास्त करने की कार्रवाई शुरू हो रही है”.
डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट दिवेश सेहरा के कड़े तेवर से यह स्पष्ट है कि जिला प्रशासन, मानवाधिकार आयोग में शिकायत होने के बावजूद, विनोद सिन्हा पर नर्म रवैया अपनाने के मूड में नहीं है. इधर मानवाधिकार आयोग ने शिकायत की जांच शुरू कर दी है.
विनोद ने मानवाधिकार आयोग को लिखे अपने लम्बे शिकायतनामें में कहा है कि डीएम दिवेश सेहरा का इतना दबाव है कि समाहरणालय के सारे अधिकारी और कर्मी उनके परिवार के खिलाफ हो गये हैं और उनके खिलाफ हर दिन नयी साजिश की जाती है और उन्हें फंसाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है.
विनोद ने लिखा है कि मुझे, मेरी पत्नी शीला और भाई अशोक ( तीनों समाहरणालय में कार्यरत हैं) को निलंबित तो किया ही गया है इसके अलावा उनके किराये के मकान की बिजली का कनेक्शन भी काट दिया गया है और बिजली के नाजाजयज इस्तेमाल का आरोपी बनाया गया है. उनके भाई ओशोक कुमार सिन्हा और परिवार के दूसरे लोगों के खिलाफ इस मामले में एफआईआर भी दर्ज करायी गयी है.
इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए नौकरशाही डॉट इन ने जिलाधिकारी दिवेश सेहरा से कई बार सम्पर्क करने की कोशिश की पर उनकी ओर से रिस्पांस नहीं आया.
विनोद की शिकाय एक गंभीर मामला है. किसी सरकारी दफ्तर में काम करने वाले एक ही परिवार के तीन-सदस्य को एक-एक कर निलंबित किये जाने के मामाले को किसी भी हाल में साधारण मामला नहीं करार दिया जा सकता. अगर विनोद के आरोप सही हैं तो यह डीएम की तानाशाही ही है जो किसी तरह लोकतांत्रिक समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता.
लेकिन इस मामले में डीएम दिवेश सेहरा की चुप्पी के कारण चीजें और उलझ गयी हैं.
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