एक चुनावी बहस मेंं संजीव श्रीवास्तव के सवालों पर अली अनवर के जवाब इसबार चुनाव में जदयू के पस्त मनोबल का स्पष्ट संकेत दे रहे थे.
मणिकांत ठाकुर, वरिष्ठ पत्रकार
मेरे ख़याल में जदयू की इस मलिन हालत के लिये ख़ुद उसके सूत्रधार नीतीश कुमार का सत्ताजनित अहंकार भी कम ज़िम्मेवार नहीं है. विज्ञापनी प्रचार के बूते चमकाई हुई छवि को ‘विकास पुरुष’ बताने वाले मीडिया घरानों का लाडला अब नीतीश नहीं, कोई और है.
मुस्लिम समाज क्या मेरी इस बात से सहमत होगा कि नीतीश कुमार ने भाजपा को उस के साथ रहकर भी मज़बूती दी और अब अलग हो कर भी उसे और मज़बूत ही बना दिया ? कभी-कभी अति महत्त्वाकांक्षा का चक्कर उल्टा पड़ जाता है.
बिहार में ब्लोअर से कथित विकास की हवा बनाने का छद्म तो उसी दिन से बेनक़ाब होने लगा था, जिस दिन से ‘ विशेष राज्य का दर्जा ‘ दिये जाने की मांग वाली सियासी धूल यहां आंखों में झोंकी जाने लगी थी. सत्ता के अनैतिक खेल में कौन किस से कम है ?
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