अगर नीतीश कुमार आज भी मुख्यमंत्री होते तो क्या कोई मंत्री उनकी कुर्सी पर भरी सभा में यूं बैठ जाता, जैसा कि जीतन राम की कुर्सी पर अचानक एक मंत्री आ बैठे? पढिये कौन हैं ये मंत्री और कैसे बैठ गये सीएम की कुर्सी पर.
नौकरशाही, बिहार ब्यूरो
बिहार में विपक्ष की नजर जीतनराम मांझी की सरकार पर लगी है और उनके मंत्री हैं कि उनकी कुर्सी को भी निरापद नहीं छोड़ रहे हैं। मौका मिलते ही मुख्यमंत्री की कुर्सी हथिया ले रहे हैं। शुक्र है सीएम कार्यालय के स्टाफ की, जिसने उन्हें बताया कि यह कुर्सी सीएम साहब की है और आप अपनी गरिमा का उल्लंघन कर रहे हैं।
मंगलवार को सचिवालय स्थिति अधिवेशन भवन में नवनियुक्त ग्रामीण विकास पदाधिकारियों की एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इसका उद्घाटन करने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के साथ ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री नीतीश मिश्र, सहकारिता मंत्री जयकुमार सिंह और पंचायती राज मंत्री विनोद प्रसाद यादव भी पहुंचे थे। इसके अलावा विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री के दाई ओर नीतीश मिश्र व विनोद यादव बैठे हुए थे, जबकि बांई ओर जयकुमार सिंह बैठे हुए थे। तीनों मंत्रियों के संबोधन के बाद मुख्यमंत्री को कार्यशाला को संबोधित करने के लिए बुलाया गया। मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी कार्यशाला के आयोजन, उपयोगिता, आरडीओ की भूमिका और अपना अनुभव शेयर कर रहे थे।
इस बीच नीतीश मिश्रा व जयकुमार सिंह किसी मुद्दे पर बातचीत कर रहे थे। बीच में मुख्यमंत्री की खाली पड़ी कुर्सी बाधक बन रही थी। इससे सहकारिता मंत्री जय कुमार सिंह ज्यादा असहज फील कर रहे थे। सो वह अपनी कुर्सी से उठे और मुख्यमंत्री की खाली पड़ी कुर्सी पर जम गए।
थोड़ी देर के लिए नीतीश मिश्रा भी नहीं समझ पाए कि क्या हुआ। लेनिक तत्काल उन्होंने अपने को संयमित किया और जयकुमार सिंह को अपनी कुर्सी पर बैठने का इशारा किया। इस बीच मुख्यमंत्री का स्टाफ स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उन्हें अपनी कुर्सी पर बैठने को कहा। तब सहकारिता मंत्री को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर अपनी जगह पर लौटे। इस दृश्य को देखकर उपस्थित लोगों के लिए मुस्कुराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।