क्या उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर के एसडीएम के निलंबन के तर्क का आधार सरकारों के इतिहास में सबसे बड़े झूठों में से एक है?
आईएएस दुर्गशक्ति नागपाल के निलंबन पर बेपर्दा हो चुकी अखिलेश सरकार को गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने उसकी फिर कलई खोल कर रख दी है.
इस मामले में चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि दुर्गा शक्ति नागपाल ने रबूपुरा थाने के तहत आने वाले एक गांव में धार्मिक स्थल की दीवार गिराने का आदेश दिया ही नहीं था.
दैनिक भास्कर डॉट के मुताबिक, गौतम बुद्ध नगर के डीएम कुमार रविकांत ने शासन को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि दुर्गा शक्ति ने गांव में जाकर लोगों को अवैध निर्माण न करने को लेकर समझाया था. इसके बाद गांव वालों ने खुद ही दीवार को गिरा दिया था.
जबकि दुर्गाशक्ति के निलंबन के बाद अखिलेश सरकार ने कहा था कि उन्होंने रमजान के पवित्र महीने में एक मस्जिद की दीवार गिराकर साम्प्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश की थी इसलिए उनको निलंबित कर दिया गया.
दूसरी तरफ रबूपुरा के थानाध्यक्ष ने स्पष्ट कहा था कि उनके इलाके में साम्प्रदायिक सद्भावना बिगड़ने की कोई स्थिति ही नहीं बनी थी.
इस खुलासे के बाद समाजवादी सरकार की पोल खुल गई है.
इस मामले को लेकर जहां आईएएस एसोसिएशन ने सरकार के निलंबन पर हड़बड़ी में उठाया कदम बताया है वहीं
दुर्गा का निलंबन खत्म करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार किसी तरह की हड़बड़ी में नहीं है. अखिलेश यादव ने उच्च अधिकारियों से निलंबन प्रकरण से उपजी स्थिति पर पूरी जानकारी ली है. इस बीच दुर्गा शक्ति नागपाल को राजस्व परिषद संबंद्ध कर दिया गया है.
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