बिहार में वोट प्रतिशत में हुए इजाफे के पीछ की एक सच्चाई यह भी जिसपर जानबूझ कर या अंजाने में पर्दा डाला जा रहा है.
विनायक विजेता
बिहार में चरणों के सम्पन्न हुए चुनाव में राज्य में मतदान में अप्रत्याशित इजाफा के लिए भले ही चुनाव आयोग अपनी पीठ थपथपा कर इसे अपनी उपलब्धि या मतदाताओं की जागरुकता करार दे पर अंदरखाने की बात कुछ और भी है।
सच्चाई तो यह है कि जिसकी जहां चली वहां जमकर बोगस वोटिंग की गर्इं। बोगस वोटिंग करने के मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ की कहावत को चरितार्थ करते हुए लगभग हर लोकसभा चुनाव क्षेत्र में सैकड़ों मतदान केन्द्रों पर ‘साइलेंट कैप्चरिंग’ रहा।
सारण क्षेत्र के रहने वाले और पटना में कार्यरत एक सरकारी अधिकारी के अनुसार 7 मई को पांचवें चरण के सम्पन्न हुए चुनाव में उनके गांव सोनपुर में ही एक-एक युवक ने पच्चीस से अधिक वोट डाले। लगभग यही स्थिति अबतक सम्पन्न हुए हर चरण के चुनाव और लगभग हर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में रहा है।
पोलिंग बूथों पर नजर रखने वाले एक अधिकारी के अनुसार सुबह सात बजे से बारह बजे तक तो सही पोलिंग होती रही लेकिन दोपहर बाद बोगस पोलिंग की बाढ़ रही। चुनाव आयोग दिन के बारह बजे तक जहां विभिन्न क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत 18 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक होने का दावा करता रहा आखिर कड़ी दोपहरी के बाद मतदान की समाप्ति तक उसमें अचानक और अप्रत्याशित वृद्धि कैसे हो जाती है?
सूत्रों के अनुसार बिहार में आगामी 12 मई को सिवान, गोपालगंज,बाल्मीकिनगर, बेतिया, मोतिहारी और वैशाली में होने वाले छठे और अंतिम चरण के चुनाव में अबतक के पांच चरणों के चुनाव में हुए मतदान की प्रतिशतता का अनुसरण हो सकता है क्योंकि अंतिम चरण के चुनाव में सबसे ज्यादा बोगस वोटिंग और साइलेंट बूथ कब्जा की तैयारी है।
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