बिहार की तपती सियासत के बीच राजद ने आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूछा है कि क्या 302 के मुज़रिम को बिहार का प्रधान रहना चाहिए? पूर्व मंत्री व राजद के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने मुख्यंमत्री नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि कहा कि पिछले दिनों राजनीति में ऐसा परिवर्तन हुआ है, जिसके अनुसार सत्ता का प्रधान वही रह सकता है, जिस पर IPC की किसी धारा में अपराध का मुकदमा दायर न हो.
नौकरशाही डेस्क
श्री सिंह ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि इस बार का परिवर्तन किसी नीति, सिद्धान्त या आदर्श पर नहीं हुआ. इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है, इस परिवर्तन चर्चा में आया है. सन 1991 में जदयू नेता व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दायर हत्या के मुकदमा पर चर्चा करते हुए कहा कि लोगों ने कहा कि यह मामला खत्म हो चुका है. बिना वजह इस मामले को तूल दिया जा रहा है. इसलिए राजद को इस मामले की सच्चाई सामने लाने की जरूरत पड़ी. इस वीडियो में दिख रहा आदमी वही है, जिसके भाईयों के हत्या का आरोप उन पर लगा है. जिसकी जानकारी उन्होंने इलेक्शन कमीशन में भी दी है. अगर यह मामला खत्म होता तो क्या पीड़ित परिवार को आज भी न्याय के लिए गुहार लगाने की जरूत पड़ती ?
श्री सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने एफिडेविट में कहा है कि मुझपर 302 और 307 का ऑफेंस है. दूसरा ये कि जो पीड़ित परिवार है, वह न्याय के लिए इंतज़ार कर है. उन्होंने कहा कि राज्य एक तरफ होता है और अपराधी एक तरफ. और जब अपराधी ही राज्य के शीर्षस्थ कुर्सी पर बैठा हो, तब स्टेट वर्सेस स्टेट हो गया. नीतीश कुमार ने इस राज्य में जिन आधारों पर स्पीडी ट्रायल चलाया, सरकार को गिराया, अपनी छवि को बनाये रखा, उसकी मांग है कि वे इस्तीफा दें.
उन्होंने कहा कि ये मामला सिविल सूट नहीं है. जब बड़े अपराध होते हैं, तब उसमें पीड़ित भी एक पक्ष होता है गवाह के रूप में. यह मामला राज्य और अपराधी के बीच होता है, व्यक्ति और व्यक्ति के बीच नहीं. इसलिए वो उस सर्वोच्च पद पर नहीं बैठ सकते, क्योंकि वो न्याय के लिए आज भी संघर्षरत हैं, जिनका भाई मार दिया गया है. इसलिए अगर मामला खत्म है तो पीड़ित परिवार मीडिया के जरिये राज्य की जनता से गुहार नहीं लगता. उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवार को मिलने वाली सुरक्षा को भी हटा दिया गया. व्यापम घोटाले की तरह इस मामले में भी गवाह खत्म न हो जाएं.
श्री सिंह ने सरकार पर अपराध का पोषण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2005 में जब यह सरकार आयी, जब पहला दिन कुर्सी पर बैठे नीतीश कुमार, तब जो नवरत्न उनके पीछे खड़े थे, वो कौन थे. मीडिया के माध्यम से ही पूरा देश देख रहा था. वो बिहार के टॉप मोस्ट क्रिमिनल, जिनके अपराधों के चलते हमलोग के राज्य को जंगलराज कहा गया. ये वही लोग थे गरीब गुरबों, दलितों को सताया. ग्रामीण लोगों को परेशान किया. अत्याचार फैलाया.
उन्होंने कहा कि कुछ दिनों के बाद मीडिया के माध्यम से सामने आया AK 47 लेकर घूम रहा है. मगर उनकी ओर से कहा गया कि तस्वीर पुरानी है. लेकिन क्या उस व्यक्ति का वेपन रिकवर किया गया. नहीं. उनके हाथ में अपराध के लिए ताकत रहने दी. वही अनंत सिंह का अपराध चलता रहा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार प्रथम दिन से, अनंत सिंह जैसे लोगों के पोषक हैं. इसलिए हम उनसे इस्तीफे की मांग करते हैं. आज उन्होंने जो कुर्सी पर रहने का आदर्श स्थापित किया कि कुर्सी पर वही रहेगा, जिस पर किसी तरह का आपराधिक केस ना हो. इस आधार पर आपको बैठने का हक़ नहीं है.