आप भले ही कितने ही पढ़ाकू हों, दो लिखावटें आपके माथे पर पसीना ला देती है- जमीन जायदाद की दस्तावेज और डाक्टरों के नुस्खे. दस्तावेज पढ़ने के लिए आपको कातिबों का सहारा लेना पड़ता रहा है जबकि डाक्टरों के नुस्खे सिर्फ केमिस्ट ही पढ़ सकते हैं. वह भी बहुत मुश्किल से. आखिर ये कागजात क्यों आसानी से नहीं पढ़ जाते? इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता.
पर अब स्थितियां बदली हैं. दस्तावेजों के कम्प्युटरीकरण के बाद अब ये पढ़े-समझे जाने योग्य तो हो गये हैं लेकिन डाक्टरों के नुस्खे अभी भी टेढी खीर हैं. लेकिन अब उम्मीद बंधी है कि कोई भी साधारण पढ़ा लिखा आदमी भी डाक्टरों के नुस्खे पढ़ सकता है.
भारतीय चिकित्सा परिषद ने एक ऐसी अधिसूचना के मसौदे को मंजूरी दे दी है, जिसमें डॉक्टरों के लिए नुस्खे को बड़े ( कैपिटल) अक्षरों में लिखने को अनिवार्य किया गया है. यह कदम इसलिए उठाया गया है, क्योंकि अक्सर इस प्रकार की शिकायतें आती रही हैं कि डॉक्टरों की लिखी भाषा को आम आदमी ही क्या, केमिस्ट भी पढ़ नहीं पाते और दवाओं के मिलते-जुलते नामों के कारण मरीज को गलत दवा दे देते हैं.
इस मौसदे को सवास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है. लेकिन माना जा रहा है कि मंत्रालय ज्लद ही इसे मंजूरी दे देगा. इसके बाद देश भर के तमाम डाक्टरों के लिए नुस्खा कैपिटल लेटर्स में लिखना अनिवार्य हो जायेगा.
हालांकि कई डॉक्टरों को यह बात रास नहीं आ रही है. उनका तर्क है कि पारम्परिक तरीके के बदलाव ठीक नहीं है. कैपिटल लेटर्स में नुस्खा लिखने में ज्यादा समय भी लगेगा.
उनके अनुसार छोटे अक्षरों के प्रयोग की आदत और कम समय में ज्यादा लिखने के चलते ही नुस्खे कभी कभी अपठनीय हो जाते हैं लेकिन इससे मरीज को आम तौर पर कोई लेना-देना नहीं होता. इसे दुकानदार तो समझ ही जाते हैं. कुछ डाक्टरों का तर्क है कि दिन भर में एक डाक्टर को सैंकड़ों दवायें लिखनी होती है. इसलिए वे इसमें कम से कम समय देना चाहते हैं. लेकिन भारतीय चिकित्सा परिषद डॉक्टरों के इस तर्क को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है.
वहीं कुछ एक वेबसाइट का दावा है कि डाक्टरों की लिखावट का अपठनीय होना उनके अस्तीत्व के लिए जरूरी है. वे नहीं चाहते कि उनकी लिखावट उनका कंपीटिटर पढ़ के समझ सके. इसलिए वे अपने नुस्खे को सेक्रेट रखना चाहते हैं. भले ही इन दावों और तर्कों के पीछे जो भी सच्चाई हो. अगर नये नियम लागू हो गये तो डाक्टर कैपिटल लेटर्स में नुस्खे लिखने को बाध्य होंगे.
अगर डॉक्टर कैपिटल लेटर्स में नुस्खे लिखने लगें तो मरीजों और दुकानदारों दोनों को काफी सहूलत होगी.