देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या इस देश में महिलाओं को शांति से जीने के अधिकार है ? सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले का बचाव करते हुए कहा, जिसमें कोर्ट ने 16 साल की एक लड़की के साथ छेड़खानी के बाद उसके आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर करने के मामले में दोषियों को सात साल की सजा सुनाई थी.
नौकरशाही डेस्क
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर की। पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा कि क्या इस देश में महिलाओं को शांति से जीने का अधिकार नहीं है ? कोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला पर प्रेम करने के लिए दवाब नहीं बना सकता.
पीठ ने आगे कहा कि महिला खुद स्वतंत्र पसंद होती है। यह किसी भी महिला की अपनी पसंद है कि वह किस व्यक्ति से प्रेम करना चाहती है और किससे नहीं। प्रेम की अवधारणा को पुरूषों को स्वीकार करना चाहिए।
बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता ने लड़की के बयान पर संदेह जताते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान वह बोलने और लिखने में सक्षम नहीं थी। हालांकि इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.