लौरिया के विधायक व भोजपुरी गायक बिहार सरकार के मंत्री बनाये गये हैं. पर उनकी विधायकी खतरे में पड़ सकती है क्योंकि उन्होंने चुनाव आयोग में दायर शपथ-पत्र में अपने खिलाफ केस को छुपाया है.
विनायक विजेता की रिपोर्ट
पश्चिम चंपारण के लौरिया विधान सभा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक और जीतनराम मांझी सरकार में कला संस्कृति मंत्री बनाए गए भोजपुरी गायक विनय बिहारी की विधानसभा की सदस्रूता समाप्तभी हो सकती है।
बिनय बिहारी ने वर्ष 2010 के नवम्बर माह में हुए चुनाव के पूर्व अपने नामांकन के समय दाखिल शपथ पत्र में आरा के उस केस की चर्चा नहीं कि है जिसमें कोर्ट ने उन्हें फरार घोषित कर उनकी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश जारी किया है।
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8 अक्टूबर 2010 को अपने 33 पन्नों के दाखिल नामांकन के शपथ पत्र में विनय बिहारी ने अपने ऊपर योगापट्टी थाना की केस संख्या- 89/2006 और उस केस के ट्रायल संख्या- 3028/2010 का जिक्र किया है पर आरा में हुए केस के तथ्यों को छूपा लिया है जो चुनाव आयोग के निर्देशों का सीधा उलंघन है।
अगर उनके विरोधी इस मामले में हाइकोर्ट या चुनाव आयोग की शरण में जाते हैं तो संभव है कि ओबरा के निर्दलीय विधायक सोमनाथ सिंह की तरह विनय बिहारी को भी तथ्य छूपाने के आरोप में अपनी विधायकी गंवानी पड़ सकती है।
गौरतलब है कि विनय बिहारी ने अपना शपथ-पत्र 8 अक्टूबर 2010 को दाखिल कि था पर आरा की एक अदालत ने भाजपुरिया समाज के अध्यक्ष प्रभात कुमार द्वारा आरा की अदालत में दाखिल एक कंप्लेंन केस पर अदालत ने 6 जुलाई 2010 को ही संज्ञान लेते हुए विनय बिहारी और इस मामले में आरोपित अन्य बारह लोगों के खिलाफ कोर्ट में हाजिर होने का सम्मन जारी किया था.