महागठबंधन और मीडिया का रिश्ता इसके गठन के साथ से 36 का रहा है। मीडिया महागठबंधन के ‘पिंडदान’ के लिए लालायित रहता है। बिहार का मीडिया भाजपा समर्थित, नीतीश कुमारा प्रति सहानुभूति रखने वाला और लालू यादव के प्रति घोर नकारात्मक अवधारणा रखने वाला है। हालांकि कभी-कभार मीडिया के ट्रेंड में बदलाव भी दिखता है।
बर्फ की तरह पिघल गया गतिरोध
वीरेंद्र यादव
राजद प्रमुख लालू यादव व जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के बीच मतभेद, मनभेद से लेकर जमीन भेद तक की खबरों से मीडिया का बाजार आबाद रहता है। बिहार का मीडिया इस दायरे से बाहर निकलने की कोशिश नहीं करता है। संभव भी नहीं है। खबरों की आंच लालू-नीतीश से आगे बढ़ते ही खत्म हो जाती है। भाजपा की खबरें सुशील मोदी से आगे नहीं बढ़ पाती हैं। भाजपा की नीतिगत खबरें भी सुशील मोदी के नाम पर महत्व पाती हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय, पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार की खबरों को मुश्किल से जगह मिल पाती हैं। इसके अलावा लोजपा के रामविलास पासवान, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा और हम के जीतनराम मांझी को मीडिया में अपेक्षित तरजीह नहीं मिल पाती हैं।
हम बात महागठबंधन की कर रहे हैं। भाजपा नेता सुशील मोदी ने जब से लालू परिवार के खिलाफ अभियान चलाया है, उसके बाद से नीतीश कुमार की ‘नैतिकता और यूएसपी’ चर्चा में आ गयी है। एनडीए के नेता नीतीश को नैतिकता का घोल पिला रहे हैं। राजद प्रमुख के आवास पर सीबीआई का छापा और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बिहार के मीडिया में भूचाल आ गया था। मीडिया ने इस्तीफे का अभियान चला दिया। खबरें एकतरफा हो गयीं और सभी ओर से इस्तीफे पर बहस शुरू हो गयी। मीडिया वाले इस्तीफे या बर्खास्तगी की तिथि और समय तय करने लगे।
राजद और जदयू के प्रवक्ताओं ने माहौल बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नेता के हिदायत के बाद भी बयानबाजी जारी रही। दोनों दलों के प्रवक्ताओं और ‘जबरिया प्रवक्ताओं’ ने एक-दूसरे के खिलाफ अभियान चलाया। कोई संख्या बल को अपनी ताकत बता रहा था तो कोई नैतिकता और यूएसपी का हवाला दे रहा था। उधर मीडिया के ‘इस्तीफा प्रलाप’ के बीच लालू यादव ने स्पष्ट कर दिया कि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे। इसके बाद मीडिया की भाषा और प्रस्तुति ज्यादा आक्रमक हो गयी। एक दिन इस्तीफे को लेकर मीडिया वाले इतना आक्रमक हो गये कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सुरक्षा गार्डों ने कथित दुर्व्यवहार के बाद पत्रकारों के साथ हाथापाई की।
इस घटना के बाद मीडिया ने 18 जुलाई को तेजस्वी यादव की बर्खास्तगी या इस्तीफा की तिथि तय कर दी। पूरा मीडिया मुख्यमंत्री द्वारा उपमुख्यमंत्री के खिलाफ होने वाली कार्रवाई का इंतजार कर रहा था। लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत। कैबिनेट की बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री के कक्ष में जाकर नीतीश कुमार से मुलाकात की। दोनों के बीच बातचीत करीब 40 मिनट तक चली। माना जा रहा है कि दोनों के बीच प्रदेश के राजनीतिक हालात और महागठबंधन के खिलाफ भाजपा व मीडिया की ‘साजिश’ पर बातचीत हुई।
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात के बाद महागठबंधन का गतिरोध बर्फ की तरह पिघल गया। मीडिया की भूमिका के कारण खबरों की ‘आंच’ पर महागठबंधन तपता रहा, लेकिन नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात ने मीडिया के मंसूबे पर पानी फेर दिया।