बिहार में भाजपा के समर्थन से चल रही जदयू की सरकार में डेढ़ वर्षों से विभिन्न आयोगों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए सरगर्मी तेज हो गयी। इसमें सिर्फ जदयू और भाजपा कार्यकर्ताओं को हिस्सा दिया जाएगा। सरकार के अन्य सहयोगी रामविलास पासवान, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी के लिए कोर्इ जगह आयोगों में नहीं है।
आयोगों के लिए सरगर्मी बढ़ी
वीरेंद्र यादव
प्राप्त जानकारी के अनुसार, कैबिनेट में हिस्सेदारी के समान ही आयोगों में भी जदयू और भाजपा की भागीदारी लगभग बराबर की होगी। इस बात पर लगभग सहमति हो गयी है। आयोगों के लिए कार्यकर्ताओं के नाम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस बीच खाद्य आयोग और बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की सदस्यता पर भी ग्रहण लगने के आसार हैं। एक वरीय अधिकारी के अनुसार, महागठबंधन सरकार के दौरान गठित खाद्य आयोग और बाल संरक्षण आयोग को भंग किया जा सकता है और उनकी जगह पर नये अध्यक्ष और सदस्य बनाए जा सकते हैं। फिलहाल इन दोनों आयोगों में राजद और कांग्रेस के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में हैं।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा के अनुसार, जदयू के कार्यकर्ता पिछले डेढ़ वर्षों से सत्ता की मलाई काटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं तो भाजपा के कार्यकर्ता भी मलाई में हिस्सेदारी के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन ‘मलाई बंटने’ का समय तय नहीं है। बंटवारा एक झटके में भी हो सकता है या किस्तों-किस्तों में भी। इसके लिए कार्यकर्ताओं को प्रतीक्षा ही करनी पड़ेगी। लेकिन दीपावली तक मलाई बंटने की उम्मीद नहीं दिख रही है।