गंगा के लिए 111 दिन से अनशन पर बैठे स्वामी सानंद की मौत का जिम्मेदार कौन ?
गोपाल राठी
अनशन के दौरान जीडी अग्रवाल ने कहा था, ‘हमने प्रधानमंत्री कार्यालय और जल संशाधन मंत्रालय को कई सारे पत्र लिखा था, लेकिन किसी ने भी जवाब देने की जहमत नहीं उठाई. मैं पिछले 109 दिनों से अनशन पर हूं और अब मैंने निर्णय लिया है कि इस तपस्या को और आगे ले जाऊंगा और अपने जीवन को गंगा नदी के लिए बलिदान कर दूंगा. मेरी मौत के साथ मेरे अनशन का अंत होगा.’
उधर श्रीविद्यामठ के महंत अविमुक्तेश्वरानंद ने स्वामी सानंद की मौत को हत्या बताया है. अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ये कैसे हो सकता है कि जो व्यक्ति आज सुबह तक स्वस्थ अवस्था में रहे और अपने हाथ से ही प्रेस विज्ञप्ति लिखकर जारी करें. वह 111 दिनों तपस्या करते हुए आश्रम में तो स्वस्थ रहे पर अस्पताल में पहुंचकर एक रात बिताते ही, उनकी उस समय मृत्यु हो जाए जब वह स्वयं ही उनके शरीर में आई पोटेशियम की कमी को दूर करने के लिए मुख से और इंजेक्शन के माध्यम से पोटेशियम लेना स्वीकार कर लिया हो.
एक संसदीय समिति, जिसने गंगा सफाई के लिए सरकार के प्रयासों का मूल्यांकन किया था, ने बताया था कि गंगा सफाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मौजूदा स्थिति ये बताती है कि सीवर परियोजनाओं से संबंधित कार्यक्रमों को राज्य द्वारा सही तरीके से लागू नहीं किया गया और ये सरकार का गैरजिम्मेदाराना रवैया दर्शाता है. सीवर परियोजना सीवेज ट्रीटमेंट और जल निकायों में सीवेज के डंपिंग के मुद्दों का हल करने के लिए था.’
संसदीय समिति के अलवा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी गंगा सफाई को लेकर सरकार की कोशिश को अपर्याप्त बताया था.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ समझौता करने के साढ़े छह साल बाद भी स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) की लंबी अवधि वाली कार्य योजनाओं को पूरा नहीं किया जा सकता है. इसी वजह से राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन अथॉरिटी अधिसूचना के आठ वर्षों से अधिक के अंतराल के बाद भी स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय मिशन में नदी बेसिन प्रबंधन योजना नहीं है.’
पर्यावरणविद् राजेंद्र सिंह का कहना है कि पर्यावरणविद, राष्ट्रभक्त प्रो जीडी अग्रवाल का निधन बेहद दुख है। उन्होंने कहा कि सरकार तमाम तरह के बाबाओं से मुलाकात करती है, लेकिन सरकार ने इस संत की अनदेखी की है।