बिहार विधान परिषद की गया स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव को लेकर महागठबंधन का ‘पिंडदान’ कर दिया गया। इस दोनों सीटों पर कांग्रेस और राजद ने अपने उम्मीदवार खड़ा किये हैं तो जदयू तटस्थ बना हुआ है। इसकी वजह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार और विधान परिषद के सभापति व भाजपा उम्मीदवार अवधेश नारायण सिंह आपसी रिश्ते की ‘मधुरता’ है।
वीरेंद्र यादव
गया स्नातक सीट से राजद के पुनीत कुमार सिंह और भाजपा के अवधेश नारायण सिंह ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है तो शिक्षक शिक्षक से भाजपा समर्थित रालोसपा के संजीव श्याम सिंह और राजद के दिनेश कुमार यादव ने नामांकन किया है। आज नामांकन का अंतिम दिन था। विधान परिषद की चार सीटों के लिए 9 मार्च को मतदान होगा। कोसी शिक्षक सीट पर भाजपा और जदयू आमने-सामने हैं तो सारण स्नातक सीट पर हम और जदयू के बीच मुकाबला है। गया में आकर मामला उलझ गया है।
नीतीश निष्ठा की कीमत चुका रहा जदयू
2013 में भाजपा के सरकार से अलग होने के बाद भी भाजपा के अवधेश नारायण सिंह परिषद के सभापति बने रहे। इस दौरान कई ऐसे मौके आए, जब सभापति ने ‘नीतीश निष्ठा’ का खुलकर प्रदर्शन किया। सीएम नीतीश कुमार के अनुकूल अपने फैसले भी सुनाए। विधान परिषद में जदयू के कई बागी विधान पार्षदों की सदस्यता अवधेश नारायण सिंह ने समाप्त कर दी। इसके लिए विधायी प्रक्रिया का सहारा लिया गया, लेकिन उसकी जड़ में ‘नीतीश निष्ठा’ ही प्रमुख कारक थी। यही कारण था कि अवधेश नारायण सिंह जदयू के समर्थन को लेकर आश्वस्त थे। वे निर्विरोध निर्वाचन की राह की तलाश में कई बार नीतीश कुमार व लालू यादव के साथ संपर्क बनाने की कोशिश की। नीतीश ने अपनी ओर से ‘अभयदान’ भी दे दिया। लेकिन मामला लालू यादव के समर्थन पर आकर उलझ गया। राजद में जाने की राह भी तलाशी गयी, पर बात नहीं बनी।
कांग्रेस की चाल
इस बीच कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवार उतार दिये। कांग्रेस ने स्नातक सीट पर पूर्व विधान पार्षद अजय कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो शिक्षक सीट से पूर्व विधायक हृदय नारायण यादव को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के आने से नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों को राहत मिली है। अजय कुमार सिंह अपने स्वजातीय वोट में सेंधमारी कर राजद की राह आसान करेंगे। इसके साथ ही नीतीश कुमार को यह कहने का मौका भी मिल जाएगा कि महागठबंधन के दो पार्टी मैदान में हैं, इसलिए हम तटस्थ बने रहेंगे। यह अलग बात है कि जदयू वाले अवधेश नारायण सिंह के साथ हैं और नीतीश के मौखिक आदेश का हवाला देकर भाजपा का प्रचार कर रहे हैं।