गया के बरहा जंगल में सीआरपीएफ के एंटी लैंडमाइंस वाहन को माओवादियों ने परखच्चे उड़ा कर संकेत दिया है कि राज्य पुलिस को मिले बुलेट प्रूफ जैकेट भी इंसास की गोलियों को नहीं सह सकेंगे.वरिष्ठ पत्रकार विनायक विजेता बता रहे हैं कि यह सुरक्षा एजेंसियो की विशेषज्ञता और सरकार के लिए गंभीर चुनौती है.
गौरतलब है कि बरहा के जंगल में नक्सलियों ने सीआपीएफ के एंटी लैंड माइंस वाहन को इतने भारी विस्फोट से उड़ाया के वाहन के दो टुकड़े हो गए और वाहन पर सवार सीआपीएफ के एक इंस्पेक्टर सहित छह जवान शहीद हो गए और कई गंभीर रुप से घायल हुए.
इस घटना से एंटी लैंड माइंस वाहन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो गया है.
सूत्रों की माने तो कुछ ऐसा ही हाल बिहार पुलिस को मिले बुलेट प्रुफ जैकटों का भी है. ये जैकेट रिवाल्वर या हल्के हथियार से चलाए गए गोलियों को तो सहन कर सकते हैं पर एसएलआर, इंसास या अन्य भारी हथियार से चली गोलियों को सहन नहीं कर सकते और ऐसे हथियारों से 100 मीटर की परिधि से चली गोली ऐसे जैकटों को भेद पहनने वाले की जान भी ले सकते हैं.
डीआरडीओ की विश्वसनीयता भी दाव पर
45 से 50 लाख रुपए मुल्य के ये एंटी लैंडमांस वाहन नक्सली हमलों और बारुदी सुरंगो के विस्फोट से बचने के लिए ही बनाये गये हैं जबकि बरहा की घटना ने यह जाहिर कर दिया है कि नक्सलियों की व्यूह रचना के आगे ऐसे वाहन बेकार और नाकारे हैं.
कोई भी एंटी लैंड माइंस वाहन की खरीद कोई राज्य सरकार या बल नहीं करती. इसकी खरीददारी और परीक्षण रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) करता है.
1958 में गठित डीआडीओ का मुख्यालय नई दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में है. सलाना 10,253.17 करोड़ के बजट वाले डीआरडीओ में लगभग तीस हजार लोग काम करते हैं जिसमें लगभग सात हजार विभिन्न क्षेत्रों में महारत हासिल प्राप्त वैज्ञानिक हैं.
मिसाइल से लेकर एंटी लैंडमाइंस परीक्षण के लिए डीआरडीओ की देश भर में 52 प्रयोगशालाएं और परीक्षण केन्द्र हैं. इस सब के बावजूद एंटी लैंड माइंस वाहन की नाकामयाबी ने डीआरडीओ के परीक्षण पर सवाल खड़ा कर दिया है.
अब यह माना जा सकता है कि माओवादियों को इस बात की भनक लग गई कि सीआपीएफ या बिहार पुलिस के जवान जिस एंटी लैंड माइंस पर सवार होकर नक्सल विरोधी अभियान में हिस्सा लेते हैं उसकी गाड़ी की क्षमता महज 20 किलोग्राम आरडीएक्स के विस्टोफ तक ही सहने की है.
संभव है इसकी पुख्ता जानकारी मिलने के बाद माओवादियों ने बरारी में 30 से 40 किलोग्राम तक के आरडीएक्स का उपयोग बारुदी सुरंग विस्फोट के लिए किया हो जिसने विश्वसनीय माने जाने वाले एंटी लैंड मार्इंस वाहन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया.