बिहार के पूर्व मंत्री और भाजपा के सांसद गिरिराज सिंह का राजनीतिक भविष्य दाव पर लग गया है। उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता कठघरे में खड़ी हो गयी है और पार्टी के अंदर उनकी साख भी कमजोर हुई है।
गिरिराज की छवि भाजपा में एक आक्रमक नेता की रही है। बड़बोलापन उनकी विशेषता है। लेकिन अब वे चुप हैं।
उनके घर से चोरी गए रुपये की बरामदगी ही उनके लिए अपशकुन साबित हो गयी है। इस घटना ने एक साथ कई सवाल खड़े किए हैं। कई तरह की आशंका भी पैदा कर रहा है। कई तरह के बयान भी आ रहे हैं। गिरिराज के मुद्दे पर बुधवार को विधानमंडल की दोनों सदन की कार्यवाही बाधित रही। मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि कानून अपना काम करेगा।
इसी से जुड़ी- गिरिराज की सांसदी पर खतरा
याद रखने की बाद है कि पिछले दिनों गिरिराज सिंह के पटना स्थित घर से कुछ पैसे चोरी हो गये थे. रिश्तेदारों ने अनुमान लगाया था कि पचास हजार रहे होंगे. पर जब चोरी करने वाले पैसों के साथ पकड़े गये तो पता चला कि यह सवा करोड़ रुपये थे. इतनी बड़ी रकम का जिक्र तो उन्होंने अपने शपथ पत्र में भी नहीं किया था.
लेकिन कानून के काम करने की शैली है। सरकार में मंत्री रहते हुए और विपक्ष में आने के बाद भी गिरिराज सिंह नीतीश कुमार की आंखों की किरकिरी बने रहते थे। सरकार पर लगातार हमला करते रहते थे। लेकिन अब स्थिति बदल गयी है। कानून के शिकंजे में गिरिराज सिंह हैं। पार्टी ने भी उनका साथ छोड़ दिया है और कहा कि सांसद खुद जवाब देंगे कि पैसे कहां से आए।
पुलिस के अलावा आयकर विभाग ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। विदेश मुद्रा रखने के आरोेप में वह फेमा के फेर में आ सकते हैं। यह माना जा सकता है कि कानून अपना काम करेगा, लेकिन राजनीति में नैतिकता और समाज में शूचिका का क्या होगा? संसद सत्र चलते रहने के कारण अभी वह पटना आने कनी काट रहे हैं, लेकिन कब तक?
घोटालों की लंबी फेहरिस्त है। आय से अधिक संपत्ति का मामला भी आम है। पैसे का अवैध लेन-देन भी आम बात है। काला धन के मुद्दे पर शोर मचाने वाले गिरिराज सिंह के घर से प्राप्त करीब सवा करोड़ रुपये कालाधन ही है क्या? समय के साथ गिरिराज की परेशानी बढ़ती जाएगी और जांच के दौरान उठने वाले सवाल उन्हें अनुत्तरित भी कर सकते हैं।