सत्ता सम्पन्न, अमीर और शक्तिशाली लोगों को गरीबों से डर नहीं लगता. गरीब तो उनकी खुराक होते हैं. उन्हीं के शोषण से अधिकतर लोग शक्तिशाली बनते हैं. सुब्रत राय सहारा भी वैसे ही अमीरों में से हैं.
सुब्रत जेल से बाहर हैं लेकिन जेल का खौफ ही है कि 9 महीने बाहर रहने के डर से उन्होंने 11 हजार करोड़ रुपये अपने देनदारों के चुका दिये हैं. पिछले दिनों उन्होंने अदालत में छह सौ करोड़ रुपये चुकाय तो इसके एवज अदालत ने उनका पैरोल दो हफ्ते के लिए बढ़ा दिया. इसके बावजूद कोर्ट अब उन पर सख्त है.
कोर्ट ने कहा है कि इन खुदरा पैसों से काम नहीं चलेगा. इसलिए अदालत ने उनके सपनों के प्रोजेक्ट एम्बी वैली को डिटैच करने का आदेश दिया है. इसकी कीमत 39 हजार करोड़ रुपये है. इस फैसले के बाद सुब्रत के वकील कपिल शिब्बल की हवाइयां उड़ने लगीं. उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि हुजूर एम्बी बैली को न छुयें. यह सुब्रत और उनकी मां की भावनाओं से जुड़ा है. हम जल्द ही डीटैच करने के लिए दूसरी प्रोपर्टी की लिस्ट आप को सौंप देंगे.
अदालत ने इसके जवाब में एक शर्त लगायी. कहा कि ठीक है लिस्ट सौंपिये पर ख्याल रखिए कि उस प्रोपर्टी पर कोई देनदारी नहीं होनी चाहिए.
सुब्रत साहब अदालत आपको दो वर्षों से यही समझा रही है कि जेल में रहिये. जेल से डर है तो अपने निवेशकों के पैसे लौटाइए. पर आप हैं कि खुदरा पैसा जमा कर जेल से बाहर की आजादी की कीमत चुकाये जा रहे हैं. ऐसे नहीं चलेगा. बाहर रहना है तो सारे पैसे ब्याज के साथ चुकाने होंगे. समझे.