गया के डीएम वैसाे किसी विवाद का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे जैसा कि बस्तर के डीएम के साथ हुआ था. सो तपिश भरी दोपहरी में वह पीएम मोदी की अगवानी में बंद गला कोट पहन कर पहुंच गये.
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दर असल मई की चिलचिलाती धूप में छत्तीसगढ़ के बस्तर कोलेक्टर अमित कटारिया सनग्लास पहने कर मोदी की अगवानी करने पर सरकार के निशाने पर आ गये थे. इतना ही नहीं वहां की सरकार ने उनको वारनिंग तक दी थी.
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बताया जाता है कि गया के डीएम संजय अग्रवाल को कटारिया विवाद की पूरी जानकारी थी इसलिए उन्होंने प्रोटकॉल संबंधी किसी विवाद से बचने की कोशिश की और गया की बदनाम गर्मी की परवाह नहीं की.
प्रोटोकॉल का घनचक्कर
गौरतलब है कि पीएम मोदी के बस्तर दौरे के वक्त बस्तर के डीएम अमित कटारिया उनके स्वागत के वक्त धूप का चश्मा पहने हुए थे. राज्य सरकार ने कलेक्टर कटारिया को प्रोटोकॉल और ड्यूटी पर ‘ध्यान नहीं देने के लिए’ चेतावनी दी थी. उन्हें दी गई नोटिस के मुताबिक, कटारिया का आचरण (मोदी के सामने धूप का चश्मा पहनना) सेवा नियमों का उल्लंघन बताया गया था. नोटिस में कलेक्टर कटारिया को भविष्य में इस तरह का आचरण नहीं करने की भी चेतावनी दी गई थी. तब यह विवाद राष्ट्रीय स्तर पर समाचारों की सुर्खी बनी थी.
प्रोटोकॉल के मुताबिक वीआईपीज के स्वागत के लिए नौकरशाहों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित है. पर यह सवाल उठाया जाता रहा है कि गर्मी की उमस और तपिश में कोट पहनना और लगातार कई घंटों तक इसी ड्रेस में रहना कठिन होता है.
गया के डीएम ने पीएम मोदी की अगवानी में घंटों ड्युटी पर रहे और बंद गले के कोट में डटे रहे. इस दौरान गर्मी से उनका क्या हाल हुआ होगा, यह खुद वही महसूस कर सकते हैं.