यह कोई पहला, दूसरा, तीसरा या चौथा नहीं बल्कि पांचवां नरसंहार मामला है जिसमें अदालत ने मुजरिमों को बरी किया और चकित करने वाली बात यह है कि तमाम नरसंहारों के आरोपी रणवीर सेना के ही हैं.
Irshadul Haque, Editor, naukarshahi.com
इतना ही नहीं उन तमाम नरसंहारों के शिकार दलित और पिछड़ी जाति के लोग हुए है. मंगलवार को जहानाबाद अदालत ने शंकर बिगहा नरसंहार के सभी 24 अभियुक्तों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है.
अदालत के इस फैसले से शंकरबिगहा के दलितों में मरघटी मायूसी तो है ही वहां के युवाओं में आक्रोश भी हैं. दूसरी तरफ माले ने इस फैसले के खिलाफ अरवल और जहानाबाद में बंद का आह्वान कर दिया है.
इससे पहले दिलतों के खिलाफ होने वाले चार नरसंहारों में रणवीर सेना के नरसंहार आरोपियों को बरी किया जा चुका है. ये तमाम नरसंहार 15-19 साल पुराने हैं. मतलब साफ है युग बीते पर इंसाफ नहीं मिला.
गौर करने की बात है कि दलितों के खिलाफ होने वाले लगभग सभी बड़े अपराधों पर, पटना हाईकोर्ट द्वार पिछले दो सालों में किये गये फैसलों में सभी अपराधियों को बरी कर दिया गया है. ये सब अपराधी रणवीर सेना से ताल्लुक रखते है. महत्वपूर्ण बात यह है कि शंकरबिगहा के अलावा उन तमाम चार बड़े नरसहांरों में निचली अदालतों ने सभी आरोपियों को सजा सुनाई थी.
आखिर सवाल यह है कि रणवीर सेना के नरसंहारियों के खिलाफ सुबूत मिलते क्यों नहीं? याद करने की बात है कि रणवीर सेना एक खूनख्वार आतंकी गिरोह रही है जिसके प्रमुख ब्रह्मेश्वर मुखिया की कुछ साल पहले हत्या हो चुकी है.
ये हैं वो तमाम नरसंहार जिनके अदालती फैसले चौंकाने वाले हैं.
शंकर बिगहा, 1999
25 जनवरी 1999 के इस बेरहम नरसंहार में शंकर बिगहा गांव के 24 दलितों को गोलियों से छलनी कर मौत के घात उतार दिया गया. रणवीर सेना के बंदूक बरादार लड़ाकों ने यह करतूत अंजाम दिया. इसी का फैसला मंगलवार को जहानाबाद अदालत ने दते हुए फैसला सुनाया कि आरोपियों के खिलाफ सुबूत नहीं.
लक्ष्मणपुर बाथे, 1997
इस प्रकार लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार के 26 दोषियों को को पटना हाईकोर्ट द्वारा बरी किया जाना नरसंहारों में आरोपियों को मुक्त किये जाने की अगली कड़ी है. 1997 के बाथे नरसंहार में गत 9 वर्ष दिये फैसले में अदालत ने सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया. हालांकि इस मामले में निचली अदालत ने 16 को मौत की सजा जबकि 10 को उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
मियांपुर नरसंहार, 2000
इससे पहले 3 जुलाई 2013 को हाईकोर्ट ने मियांपुर नरसंहार का फैसला सुनाया था. उसमें हाईकोर्ट ने 10 में से 9 अभियुक्तों को बरी कर दिया. हालांकि 2007 में निचली अदालत ने सभी 10 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मियांपुर निरसंहार सन 2000 में हुआ था और इसमें भी प्रतिबंधित रणवीर सेना का हाथ था.
नगरी बजार जनसंहार, 1998
इसी प्रकार नगरी बाजार जनसंहार में भी हाईकोर्ट ने सभी 11 अभियुक्तों को बरी कर दिया था. यह जनसंहार 1998 में हुआ था और इसमें भी रणवीर सेना का नाम था. निचली अदालत ने इस जनसंहार में 8 को आजीवन कारावास और तीन को मौत की सजा सुनाई थी.
बथानी टोला जनसंहार, 1996
जनसंहारों पर हुए हाईकोर्ट के फैसले में से एक फैसला बथानी टोला जनसंहार का भी है. 1996 में हुए इस जनसंहार में 21 दलितों की जान गयी थी. 27 अप्रैल 2012 को सुनाये अपने फैसले में हाईकोर्ट ने रणवीर सेना के 23 लोगों को बरी कर दिया था.इसमें हाईकोर्ट का तर्क था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सुबूत नहीं हैं. हालांकि निचली अदालत ने इस मामले में भी 3 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनायी थी जबिक 20 को उम्रकैद की सजा दी थी.