गुजराती के मशहूर लेखक डॉक्टर रघुवीर चौधरी को आज नई दिल्ली में 51 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद भवन के बालयोगी सभागार में एक गरिमापूर्ण समारोह में 77 वर्षीय डॉ चौधरी को यह सम्मान प्रदान किया।
पांच दिसम्बर 1938 को गांधीनगर के बापुरा में जन्मे डॉ चौधरी को वर्ष 2015 के लिए यह पुरस्कार दिया गया। श्री मुखर्जी ने डॉ चौधरी को पुरस्कार स्वरुप 11 लाख रुपए , वाग्देवी की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र और एक प्रतीक चिह्न के अलावा शॉल और श्रीफल भी प्रदान किया। 1977 में उपर्वास उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डॉ चौधरी गुजरात विश्वविद्यालय से हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होकर इन दिनों स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। वह दिव्य भास्कर, संदेश और जन्मभूमि जैसे गुजराती अखबारों में स्तम्भ लिखते रहे हैं। उनकी अब तक 80 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें उपन्यास के अलावा कविता संग्रह, नाटक, कहानी संग्रह और पत्रकारिता संबंधी किताबें शामिल हैं। वह भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य तथा पच्चीसवें भारतीय फिल्म समारोह के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह गुजराती साहित्य परिषद के भी अध्यक्ष रहे हैं।
समारोह में भारतीय ज्ञानपीठ की प्रवर समिति के अध्यक्ष डॉ नामवर सिंह के अलावा भारतीय ज्ञानपीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विजेन्द्र जैन, प्रबंध न्यासी अखिलेश जैन और निदेशक लीलाधर मंडलोई आदि मौजूद थे। डॉ चौधरी का चयन डॉ नामवर सिंह की अध्यक्षता वाली ज्यूरी ने किया था। गत वर्ष यह सम्मान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मराठी लेखक भालचंद्र मेमाडे को प्रदान किया था।