गुजरात हाईकोर्ट ने बाबू बजरंगी के बेल याचिका को रद्द कर दिया है. बजरंगी ने इस आधार पर बेल मांगी थी कि उसकी आंख की रौशनी सौफीसद खत्म हो गयी है.
अदालत ने इस मामले में मेडिकल रिपोर्ट तलब की. जस्टिस महिंदर पाल और जस्टिस आरडी कोठारी ने यह जानकारी मांगी की बाबू बजरंगी की आँख की रौशनी वापस आ सकती है या नहीं.
इस पर बजरंगी के वकील पीएम लखानी ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक बजरंगी की आंख की रौशनी वापस नहीं आ सकती. इस के बाद अदालत ने कहा कि अगर बजरंगी की आंख की रौशनी वापस नहीं आ सकती तो ऐसे में उसे बेल देने की कोई जरूरत नहीं है.
गौरतलब है कि बजरंगी 2002 के गुजरात दंगों के नरोदा पाटिया केस में जेल में बंद है.
अदलात ने कहा कि ऐसे में कोई फर्क नहीं पड़ता कि बजरंगी जेल में रहे या बाहर. हां अदालत इतना कर सकती है कि वह जेल के अंदर चाहे तो अपने लिए कोई अटेंडेंट रख ले. अदलात इसकी अनुमति दे सकती है.
अदालत ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि बजरंगी की आंख की रौशनी चली गयी, जमानत नहीं दी जा सकती . इसके बाद जिरह के वकीलन ने इस मामले पर और बहस नहीं की.