अहमदाबाद में हजारों दलितों ने शनिवार को मरी गाय नहीं उठाने की शपथ ले कर सरकार और प्रशासन के सामने भीषण चुनौती खड़ी कर दी है.
इस अवसर पर हजारों दलित पुरुष-महिलाओं ने मृत गाय का निबटान न करने की शपथ ली.
पिछले दिनों गुजरात के ऊना में मृत गाय की चमड़ी निकालने वाले चार दलितों की बेरहमी से की गई पिटाई के बाद राज्य में दलित आंदोलन बेकाबू हो चुका है.
दलितों की पिटाई पर विरोध जताते हुए दलितों ने मरी गायों के कोलेक्टर आफिस और अन्य सरकार कार्यालों के सामने मरी गाय फेकने का अभियान शुरू किया था. कह रहा है कि इस आंदोलन के कारण ही मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.
ऊना में दलितों के साथ सवर्णों द्वारा की गयी प्रताड़ना के बाद दलितों ने मानवमुक्ति संग्राम आंदोलन छेड़ दिया है. सोशल मीडिया पर #AzadiKooch अभियान छेड़ा गया है. 4 अगस्त को यह अभियान अहमदाबाद से शुरू हुआ और इस अभियान का अंतिम पड़ाव ऊना होगा जहां हजारों की संख्या में पहुंच कर लोग राष्ट्रीय झंडा फहरायेंगे.
इस आंदोलन में दलितों के साथ मुसलमानों का भरपूर समर्थन मिल रहा है.
वैसे पहले से ही गुजरात में दलितों ने मरी गायों के नबटान का काम छोड़ रखा है. इससे भीषण समस्या उत्पन्न हो गयी है और राज्य सरकार ने तमाम जिला कोलेक्टरों को सर्कूलर जारी कर आदेश दिया है कि वे मरी गायों को निबटाने की जिम्मेदारी खुद अपनी देख रेख में निभायें.