गुजरात के एक पूर्व जनज ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा है कि गुजरात का सीएम रहते नरेंद्र मोदी का रवैया मुस्लिम विरोधी था इसलिए उन्होंने त्याग पत्र दे दिया था.

अक्टूबर 2002 से मई 2003 तक सिटी सिविल और सेशंस कोर्ट में जज रहे हिमांशु त्रिवेदी ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के साहस को सलाम करते हुए फेसबुक पोस्ट किया है. ऐसे समय में जब तीस्ता पर भाजपा के नेता राष्ट्रविरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं और उनके यहां छापा तक पड़ रहा है, गुजरात के पूर्व जज ने उनके साहस और ईमादनारी की तारीफ की है.
गुजरात में सैकड़ं को नहीं मिला न्याय
अपने पोस्ट में उन्होंने गुजरात दंगों के दौरान उस दबाव का जिक्र किया है, जिसकी वजह से सैकड़ों पीड़ितों को अब तक न्याय पाने का मौका नहीं मिला.
माया कोडनानी और बाबू बजरंगी को नरोडा-पाटिया हत्याकांड के लिए दोषी करार देने वालीं जज ज्योत्सना याग्निक हिमांशु त्रिवेदी की कॉलीग थीं। बाद में त्रिवेदी ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया था और न्यू जीलैंड चले गए थे.
यहां पढ़िये त्रिवेदी का फेसबुक पोस्ट
‘तीस्ता सीतलवाड, सलाम। मैं हमेशा से इन मुद्दों को लेकर आपका, आपके साहस और आपकी बेबाकी का मुरीद रहा हूं। मैंने गुजरात की न्यायपालिका छोड़ दी थी। मैं अहमदाबाद सिटी सिविल और सेशंस कोर्ट में डिस्ट्रिक्ट कैडर का जज था। एक वक्त बाबू बजरंगी और कोडनानी पर फैसला सुनाने वालीं बहादुर जज ज्योत्सना याग्निक का सहकर्मी भी रहा हूं, जिन्होंने अपनी जान को खतरा बताया है। मैं यह भी बताना चाहता हूं कि वे (गुजरात सरकार) चाहते थे कि हमसे (जजों और न्यायपालिका से) अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम करवाया जाए (हालांकि कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया था, मगर हमें एकदम साफ मेसेज दे दिया गया था)। मैं इस काम में शामिल नहीं हो सकता था, क्योंकि मैंने भारत के संविधान के प्रति शपथ ली थी।’
मुस्लिम विरोध काम करने का दबाव
उधर नवभारत टाइम्स के अनुसार तीस्ता के नाम एक ईमेल में त्रिवेदी ने बताया है कि बहुत से लोगों को न्यायपालिका के सदस्यों के जरिए कहलवाया गया था कि वे कुछ इस तरह से काम करें, जिससे ‘इन लोगों’ को सबक सिखाया जा सके- इशारा मुस्लिम समुदाय की तरफ था.
सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड पर हाल ही में उनके गैर सरकारी संगठन पर लगे गबन के आरोपों और उनके घर पर सीबीआई की रेड को बहुत से लोग एक साजिश के तौर पर देख रहे हैं.
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