राजद प्रमुख लालू यादव बिहारी राजनीति के अभिन्न हिस्सा हो गए हैं। उनका बोलना, नहीं बोलना, कहीं जाना, नहीं जाना सब खबर बन जाती है। प्रकाशपर्व के मौके पर राजद प्रमुख लालू जमीन पर बैठे तो लोगों को परेशानी। आज स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में मंच पर बुलाए गए तो परेशानी। किसी भी हालत में चैन नहीं।
वीरेंद्र यादव
पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह में हम कवरेज करने नहीं जा सके। वजह थी कि समय पर आवेदन नहीं देने के कारण जिला प्रशासन की ओर से हमारा सुरक्षा पास जारी नहीं हो पाया और हम इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बनने से वंचित रह गए। लेकिन अनहोनी की आशंका सुबह से ही थी। अखबारों में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और राजद प्रमुख लालू यादव के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के साथ मंच पर बैठने की खबर प्रकाशित हुई थी।
लालू यादव को हर क्षण निशाने पर रखने वाली भाजपा के नेता राजनाथ सिंह के साथ लालू यादव के साथ मंच शेयर करेंगे। यह असहज लग रहा था। बिहार भाजपा के नेता लालू यादव के खिलाफ जिस तेवर में बात करते हैं, उससे आशंका को बल मिल रहा था कि राजनाथ सिंह अपनी यात्रा रद्द कर सकते हैं। हुआ भी यही। कार्यक्रम के लिए निर्धारित समय से करीब डेढ़ घंटा पहले भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने बताया कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह सम्मान समारोह में शामिल नहीं होंगे। कारण बना समारोह के लिए लालू यादव को आमंत्रण। राजनाथ सिंह के नहीं आने की खबर के बाद एनडीए के अन्य नेता भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इस विवाद के बाद सम्मान समारोह ‘लालू विरोध’ के रूप में तब्दील हो गया। समारोह में राष्ट्रपति का संबोधन और सेनानियों के सम्मान का मुद्दा पीछे छूट गया और लालू यादव के समर्थन और विरोध की राजनीति तेज हो गयी।
राज्य सरकार को लेकर बिहार भाजपा की प्रतिबद्धता ‘निराली’ है। भाजपा के नेता कभी नीतीश कुमार की कार्यशैली और कार्ययोजना पर प्रहार नहीं करते हैं। जबकि नीतीश सरकार के मुखिया हैं और अच्छे या बुरे काम के लिए जिम्मेवार हैं। भाजपा वाले लालू यादव को लेकर ही सरकार पर हमला करते हैं, जबकि लालू यादव सरकार में ‘न तीन है, न तेरह।’ आज भी यही हुआ। राजनाथ सिंह, राहुल गांधी या लालू यादव को आमंत्रण राज्य सरकार ने भेजा होगा। तीनों ने आमंत्रण स्वीकार किया। लेकिन जब मंच पर चढ़ने का समय आया तो राजनाथ सिंह ने मंच पर आने से मना कर दिया और देखते ही देखते लालू यादव मंच ‘लूट’ ले गये। वह भी बिहार भाजपा के नेताओं के सहयोग और समर्थन से।