महात्मागांधी की कर्मभूमि चम्पारण की हालत इन दिनों ठीक नही है। विधान सभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है और आपसी सौहार्द्र बिगाड़कर खास समाज का वोट हथियाने का दुस्साहस किया जाने लगा है।
इन्तेजारुल हक, मोतिहारी से
पूर्वी चम्पारण जिले के विभिन्न इलाकों में लगातार हो रहे साम्प्रदायिक तनाव व रोड़ेबाजी इसका ज्वलन्त नमूना है। हाल के दिनों में बंजरिया प्रखण्ड के आम टोला, ढाका प्रखण्ड के पचपकड़ी व फुलवरिया में हुए तनाव के कारणों की जानकारी जब लेनी शुरू की गयी तब अनेक चैकाने वाले मामले सामने आये। आपसी सौर्हाद को बिगाड़ने के लिए जिस तरह से यहां घिनौना खेल शुरू हो गया है और किसी खास समाज के लोगों की भावना को भड़काया जा रहा है उससे एक बात तो साफ हो गयी है कि पर्दे के पिछे कोई दूसरा है और सभी मामले प्रायोजित हैं।
यह सभी वोट के लिए किया जा रहा है और सदियों से स्थापित चम्पारण की गंगा जमुनी तहजीब को तोड़ने की साजिश की जा रही है।जानकार बताते हैं कि कैसे हिन्दू-मुस्लिम एकता के बीच दरार पैदा की जाए और किस तरह से धर्म के नाम पर शांत समाज को अशांत किया जाये,ताकि आगामी चुनाव में इसका लाभ मिल सके।
जिले के अनेक प्रखंडों में यह साजिश एक साथ रची जा रही है. आइए देखें कैसे और कहां चल रही है ये साजिश-
ढ़ाका, पचपकड़ी
इस मामलें को शांत कराने की पहल अभी चल ही रही थी कि दूसरा मामला ढ़ाका प्रखण्ड पचपकड़ी का मामला सामने आ गया। पचपकड़ी पंचायत के अल्पसंख्यक मुहल्ला से कलश यात्रा निकालने को लेकर प्रायोजित ढंग से जिस तरह से दो समुदायों के बीच माहौल खराब किया गया वह भी किसी से छुपी नही है।स्थानीय मुखिया रेणु ठाकुर व मुखिया पति संजय कुमार ठाकुर की सूज-बुझ व उनकी सकारात्मक पहल के साथ-साथ प्रशासन की मुस्तैदी ने इस मामले पर काबू पाने में सफलता हासिल की।
ढ़ाका, फुलवरिया
यह भी मामला अभी पूरी तरह से शांत भी नही हुआ था कि ढाका के निर्दलीय विधायक पवन जायसवाल के पैतृक गांव फुलवरिया में माहोल बिगड़ गया। फुलवरिया में स्थित कब्रिस्तान में अष्टयाम कराने को ले दोनों समाज के लोग आमने सामने आगये।यहां इस तरह से साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश की गयी जिस तरह से आंधी में आग का शोला भड़कता है। जानकार बताते हैं कि यह सभी वोट की राजनीति के लिए किया गया था और स्थानीय विधायक की भूमिका पर लोगों ने अनेक सवाल खड़े किये । युवा लोजपा के राष्ट्रीय महासचिव परवेज अहमद खां फुलवरिया विवाद के लिए विधायक पवन जायसवाल को सीधे दोषी ठहराते हैं और कहतें हैं कि विधायक के सह पर ही कब्रिस्तान में अष्टायाम कराया गया। श्री खां के अनुसार,विधायक पवन राम-रहीम के नाम पर जनता को केवल गुमराह करते हैं।दूसरी तरफ विधायक ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
किन्तु जिलाधिकारी जितेन्द्र श्रीवास्तव व पुलिस कप्तान सुनिल कुमार की मुस्तैदी ने उनकी मंशा पर पानी फेर दिया। जानकार बताते हैं कि राम-रहीम सेना के नाम पर जिस तरह की वोछी राजनीति यहां चल रही है और समाज में अशांति फैलाने का प्रयास किया जा रहा है,इससे प्रशासन भी सकते में हैं।
इस विवाद पर स्थानीय प्रशासन से इस की शिकायत किये जाने पर जब कोई कार्रवाई नही हुई तब मामला तूल पकड़ लिया और देखते ही देखते दोनों समाज के लोग एक दूसरे के दुश्मन हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी और कई घंटो की मेहनत के बाद मामला शान्त हुआ।
बंजरिया, मूर्ति पर रोड़ेबाजी की अफवाह
बंजरिया प्रखण्ड के आमवा गांव में हुए तनाव से।सरस्वती पूजा की मूर्ति विजर्सन के दौरान जिस तरह का तनाव हुआ और अफवाह फैलायी गयी कि गांव में अफरा-तफरी का माहोल बन गया अगर मौके पर प्रशासनिक पदाधिकारी,पुलिस के जवान व जिला शांति सिमिति के कार्यकारी अध्यक्ष धर्मबीर प्रसाद,सचिव सत्याशरण यादव नही पहुंचते तो स्थिति काफी भयावाह तो होती ही साथ ही दोनों तरफ से कई लाशें भी गिरती।मामला काबू में आने के बाद जब इस की जांच सदर के अनुमण्डल पदाधिकारी ज्ञानेन्द्र कुमार ने शुरू की तो पता चला कि किसी ने न तो पत्थर फेंकी थी और न ही गांव में किसी को किसी से उस तरह की कोई अदावत थी। पूजा समिति से जुड़े लोग मूर्ति को विसर्जित करने के लिए जा रहे थे कि रास्ते में एक मस्जिद है और उस मस्जिद के पास एक अधूरा बना घर हैं जहां से स्वतः मिट्टी गिरी थी।केवल अफवाह फैलाकर इस मामले को तूल दिया गया था। लेकिन कुछ सुलझे हुए लोगों ने इस साजिश को नाकाम कर दिया.
भले ही बंजरिया प्रखंड में अब शांति है पर पवन जायसवाल के गांव फुलवरिया में अभी भी हालत पुरी तरह से पूर्व की तरह सामान्य नही हुई है और लोगों में दहशत है।इस स्थल पर अभी तक सुरक्षा के जवान तैनात हैं और शव को दफनाने से रोका जा रहा है।
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