बिहार में अभी स्थानांतरण-पदस्थापन का खेल चल रहा है। डीएम-एसपी के बाद अब सीओ-बीडीओ का स्थानांतरण व पदस्थापन होगा । स्थानांतरण को लेकर भाजपा ने आरोप लगाया था कि ट्रांसफर – पोस्टिंग से मंत्री पैसे की उगाही कर रहे हैं।
जदयू की कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि सुपरवाइजर व सचिवालय सेवा से बनाए गए बीडीओ और सीओ को 15 अगस्त से पहले हटा दिया जाएगा और उनकी सेवा विभाग को वापस कर दी जाएगी। उनकी जगह पर बिहार लोकसेवा आयोग से चयनित अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अनुभवी बीडीओ और सीओ को छोड़कर करीब प्रखंडों में 400 बीपीएससी से चयनित अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पहले बीडीओ-सीओ के पद पर बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियुक्त किए जाते थे। उन्हें प्रशासनिक अनुभव व प्रशिक्षण भी प्राप्त रहता था । लेकिन नीतीश कुमार ने नयी व्यवस्था के तहत सचिवालय सेवा और सुपरवाइजरों को सीओ-बीडीओ बनाना शुरू किया। ऐसे लोगों के पास न प्रशासनिक अनुभव था और प्रशिक्षण प्राप्त था। इस कारण विकास योजनाओं के कार्यान्वयन में लापरवाही शुरू हो गयी। योजनाओं को लेकर शिकायतें मिलने लगीं और रिश्वतखोरी का आरोप भी लगने लगा । परिणाम यह हुआ कि पूरा प्रशासनिक व्यवस्था पंगु हो गया। विधायकों ने भी सरकार तक शिकायत पहुंचायी कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते हैं ।
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक कार्यशील, सक्षम और कारगर बनाना चाहते हैं। इसके लिए प्रखंड स्तर पर प्रशासिनक तंत्र को प्रभावी बनाना जरूरी है। इसी क्रम में उन्होंने बीपीएससी से चयनित अधिकारियों की तैनाती का निर्णय लिया है। बेहतर कार्य होने से मुख्यमंत्री की छवि भी बेहतर बनेगी और सरकार के प्रति जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।