चारा घोटाले में जिन्हें जेल जाना था चले गये.पर अब बहस उस चिट्ठी पर होनी चाहिए जिसे 90 में बिहार के मौजूदा मंत्री विजय चौधरी ने लिखी थी और जिसके बाद कई बेगुनाह फंसे और गुनाहगार मौज कर रहे हैं.
विनायक विजेता
1990 में तत्कालीन कांग्रेसी विधायक और वर्तमान में बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा तत्कालीन विरोधी दल के नेता डा. जगन्नाथ मिश्र के पास लिखे उस पत्र के कुछ अंश आप भी पढ़ें जिसमें कुछ खास लोगों को बचाने की बात की गयी है. इस पत्र को संलग्न करके जगन्नाथ मिश्र ने लालू प्रसाद, जो उस समय मुख्य मंत्री थे, को भेज दिया. फिर चीजें उलट-पलट गयीं. कई निर्दोष फंस गये और दोषी अब भी मौज कर रहे हैं.
विजय चौधरी को संलग्न करते हुए जगन्नाथ मिश्र ने लालू प्रसाद को लिखा-
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-‘मुख्यमंत्री, बिहार पटना, श्री विजय कुमार चौधरी, सदस्य विधानसभा का आपके नाम संबोधित पत्र संलग्न करते हुए निवेदन करना चाहुंगा कि इस पत्र में उठाए गए बिन्दुओं के आलोक में आप अपने स्तर से समुचित आदेश देना चाहेंगे. इस पत्र (विजय चौधरी द्वारा लिखे पत्र) में कहा गया है कि पशुपालन विभाग में गठित केन्द्रीय क्रय समिति के अतिरिक्त अन्य पदाधिकारी के विरुद्ध भी निगरानी विभाग द्वारा मुकदमा दायर किया गया है जबकि मामला क्रय संबंधी है.
अत: मामला क्रय समिति से संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध ही कार्रवाई होनी चाहिए। अत: आग्रह है कि वस्तु स्थिति की समीक्षा कर वैसे ही पदाधिकारियों पर कार्रवाइ्र की जाए जिनपर स्पष्ट आरोप है. अनावश्यक रूप से अन्य लोगों को परेशान नहीं करने पर विचार करेंगे।’
घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश
दर असल यह विजय चौधरी ही थे जिन्होंनेसर्वप्रथम इस घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश की थी. अगर सीबीआई किसी दुर्भावना और किसी के खास आदेश से प्रेरित नहीं होती तो चारा घोटाले का प्रथम और मुख्य अभियुक्त विजय कुमार चौधरी ही होते जिन्हें सीबीआई ने साफ बचा लिया. 1990 में जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया तत्कालीन लालू सरकार ने इस मामले की निगरानी जांच का आदेश दे दिया.निगरानी ने अपने जांच में पाया कि इसमेंकई सफेदपोश शामिल हैं जिनपर प्राथमिकी दर्ज कर उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई.
उन सफदपोशों को बचाने के लिए तत्कालीन कांग्रेसी विधायक विजय कुमार चौधरी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को एक पत्र लिखा जिस पत्र की अनुशंसा करते हुए तत्कालीन समय में विरोधी दल के नेता डा. जगन्नाथ मिश्र ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को अपने पत्रांक-2991 दिनांक 23 अगस्त 1990 को एक अनुशंसा पत्र लिखा जो बाद में सीबीआई के लिए लालू और जगन्नाथ मिश्र को साजिशकर्ता के रूप में पेश करने का आधार बन गया.
यही पत्र निगरानी आयुक्त को भेजने को मामले को लेकर लालू और जगन्नाथ मिश्र दोनों को साजिशकर्ता मानकर सीबीआई ने आरोपित कर दिया पर घोटाले का सर्वप्रथम नींव रखने वाले विजय कुमार चौधरी पर आंच तक नहीं आई जो सीबीआई की कार्यपद्धति और उसकी जांच पर सवाल खडा कर रहा है.
अगर विजय कुमार चौधरी 1990 में चारा घोटाले के प्रमुख आरोपितों को बचाने की कोशिश और इस मामले को क्रय समिति की ओर मोडने की कोशिश नहीं करते तो निगरानी उसी वक्त इस मामले का भंडाफोड कर देती पर विजय चौधरी ने सारे मामले को सफल तरीके से मोड दे दी और खुद तो बच गए कई इसलिए फंस गए कि उन्होंने उस वक्त उनके पत्र की अनुशंसा मात्र की थी.
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