अभिवाजित बिहार के अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाले के एक मामले में आज रांची स्थित केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की विशेष अदालत ने झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती को पांच साल की सजा सुनायी।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शंभू लाल साव की अदालत ने चाईबासा कोषागार से 37.37 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित आरसी 20 ए 96 मामले में पिछले 14 नवंबर को दोषी करार दिये गये श्री चक्रवर्ती की सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद उन्हें पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने इसके साथ ही चार लाख रुपये जुर्माना भी किया और कहा कि जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर श्री चक्रवर्ती को एक वर्ष अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी ।
श्री चक्रवर्ती पर आरोप था कि वर्ष 1992 से 1995 के बीच चाईबासा उपायुक्त के पद पर रहने के दौरान पशुपालन विभाग में हो रही अवैध निकासी को वह जिला पशुपालन पदाधिकारी बी एन शर्मा और एक आपूर्तिकर्त्ता की बात में आकर नजरअंदाज करते रहे। इतना ही नहीं, उन्होंने एक आपूर्तिकर्त्ता से एक लैपटॉप भी उपहार में लिया था। अदालत ने श्री चक्रवर्ती को भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी आपराधिक षड़यंत्र रचने, धारा 420 धोखाधड़ी करने, धारा 409 सरकारी राशि का गबन करने, 467 महत्वपूर्ण दस्तावेजों में जालसाली करने, धारा 468ए, 471 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत सरकारी पद का दुरूपयोग करने के मामले में दोषी पाया है। इस मामले में मूल अभिलेख का निष्पादन अक्टूबर 2013 में हुआ था और इसके निष्पादन के पूर्व झारखंड उच्च न्यायालय ने श्री चक्रवर्ती पर लगे आरोप को निरस्त कर दिया था। इसके बाद सीबीआई ने हाईकोर्ट के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।