जिस दरभंगा में बीते रामनवमी को एक नेता ने साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश की थी, उसी दरभंगा में साम्प्रदायिक भाईचारे की मिसाल एक युवक ने पेश की है. मोहम्मद अशफाक ने रोजा तोड़ कर कर अपना खून एक हिंदू परिवार को दे कर जिंदगी बचा ली.
दरअसल दरभंगा के एसएसबी जवान रमेश कुमार सिंह की पत्नी आरती कुमारी ने दो दिन पहले एक निजी नर्सिंग होम में ऑपरेशन के बाद बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन जन्म के बाद बच्चे की हालत बिगड़ने लगी. आनन-फानन में बच्चे को मां से अलग कर आईसीयू में रखा गया. डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने के लिए खून की मांग की. नवजात बच्चे का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव (रेयर) होने के कारण खून आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था.
फेसबुक के जरिये यह सूचना लोगों तक पहुंचाई गयी. संदेश मोहम्मद अस्फाक तक पहुंची. मोहम्मद अस्फाक ने तुरंत पीड़ित परिवार से संपर्क किया और अस्पताल पहुंच गया.
मोहम्मद अशफाक खून देने अस्पताल पहुंचे. रोजे की हालत में खून देना नुकसानदेह हो सकता है इसलिए उन्होंने रोजा भी तोड़ा क्योंकि उनकी प्राथमिका जिंदगी बचाने की थी. अशफाक ने खून दे कर बच्चे की जान बचा ली.
इस के बाद अशफाक ने कहा कि रोजा वह बाद में पूरे कर लेंगे लेकिन पहली प्राथमिकात जिंदगी बचानी थी. अब मैं काफी संतुष्ठ महसूस कर रहा हूं. किसी की जिंदगी बचाने से बड़ी और क्या बात हो सकती है.
अशफाक के इस मानवीय कारनामे पर तेजस्वी यादव ने कहा है कि यही हमारा बिहार. संघी नफरत हमारे बिहार की एकता को भंग नहीं कर सकता