अपने सहयोगी मंत्रियों के मर्यादित बयान, कार्रवाई और आचरण से परेशान मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने चार मंत्रियों को हटाने का फैसला कर लिया है, जबकि पांचवें मंत्री पर भी गाज गिरने की पूरी उम्मीद है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से मिली खबरों के अनुसार, जिन मंत्रियों को बर्खास्त करने की राज्यपाल से की जा सकती है, उमें ललन सिंह, पीके शाही, रमई राम और श्याम रजक हैं। जबकि संसदीय कार्यमंत्री और पार्टी के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार की छुट्टी हो सकती है। हालांकि श्रवण कुमार का ‘कुर्मी फैक्टर’ उनके लिए कवच का काम कर सकता है।
वीरेंद्र यादव
पिछले कई दिनों से जीतनराम मांझी के भविष्य को लेकर अटकलों के केंद्र में ललन सिंह, पीके शाही, श्याम रजक और रमई राम ही रहे हैं। ललन सिंह और पीके शाही विधान परिषद के सदस्य हैं और नीतीश कुमार के विश्वसनीय माने जाते हैं। इनकी बर्खास्तगी से विधान सभा में सदस्यों की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा। श्याम रजक और रमई राम दोनों विधानसभा सदस्य हैं। हालांकि दोनों अपने आप को जीतनराम मांझी की विदाई के बाद मुख्यमंत्री का प्रत्याशी मानते रहे हैं।
वशिष्ठ के सुझाव से मांझी नाराज
यह भी संयोग है कि ललन सिंह और पीके शाही अधिकारियों के स्थानांतरण पर मुख्य सचिव से जवाब मांगते हैं, तो मुख्यमंत्री खुद उसका जवाब देते हैं। मुख्यमंत्री का जवाब पार्टी अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को नागवार गुजरता है और वह सीएम से ही कहते हैं कि मंत्रियों के साथ सकारात्मक सहयोग करें। इससे भी मांझी नाराज बताए जाते हैं। बुधवार को दिन भर सीएम को ‘हटाने का समय’ मीडिया वाले बेचते रहे और शाम को शरद यादव ने कहा कि मांझी की कुर्सी सुरक्षित है। खबरे बकवास थीं।
बर्खास्तगी के समय पर संशय
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मंत्रियों की बर्खास्तगी का समय मुख्यमंत्री अभी तय नहीं कर सके हैं। इसी महीने बजट सत्र शुरू होने वाला है। मुख्यमंत्री सत्र के पहले चार मंत्रियों को हटाने के पक्ष में हैं, लेकिन कुछ सलाहकार बजट सत्र के बाद कार्रवाई की सलाह दे रहे हैं। इस बीच भाजपा सूत्रों से मिली खबर के अनुसार, मंत्रियों की संभावित बर्खास्तगी के बाद नीतीश कुमार की भूमिका पर पार्टी की नजर होगी। यदि नीतीश मांझी को अस्थिर करना चाहेंगे तो भाजपा मांझी को समर्थन दे देगी और सरकार बनी रहेगी।