गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कहा कि अनुसूचित जाति / जनजाति (एससी/एसटी) पर अत्याचार रोकने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल द्वारा बुधवार को मंजूर विधेयक संसद के ही मानसून सत्र में ही पारित कराया जायेगा। सिंह ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर कहा “सारा देश अवगत है कि उच्चतम न्यायालय ने जो आदेश दिया था उससे ‘अनुसूचित जाति / जनजाति अत्याचार निवारण कानून’ कमजोर हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी समय कहा था कि हम ऐसा ही या इससे भी कड़ा कानून लायेंगे। कल ही मंत्रिमंडल ने इस विधेयक को मंजूरी दी है। हम इसी सत्र में उसे पेश करेंगे और पारित करायेंगे।” संसद का मानसून सत्र 10 अगस्त तक होना तय है और गुरुवार के बाद इसकी छह बैठकें होनी हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 20 मार्च 2018 के अपने फैसले में मौजूदा कानून के उस प्रावधान को समाप्त कर दिया था जिसके तहत एससी/एसटी नागरिकों के खिलाफ कोई अत्याचार होने पर प्राथमिकी दर्ज होते ही बिना जाँच तुरंत गिरफ्तारी अनिवार्य थी।शून्यकाल की कार्यवाही शुरू होते ही श्री खडगे ने कहा कि इस मामले पर शीर्ष अदालत का फैसला 20 मार्च को ही आ गया था। इसके बाद 27 मार्च को 17 दलों के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर उनसे और सरकार से अनुरोध किया था कि वह कानून को कमजोर करने वाले इस फैसले को निष्प्रभावी करने के उपाय करें।
उन्होंने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुये कहा “चार महीने हो गये, सरकार ने कुछ नहीं किया। आप (मानसून सत्र से पहले) कम से कम छह अध्यादेश ऐसे लेकर आये जो जनता के लिए महत्त्वपूर्ण थे, लेकिन इससे ज्यादा महत्त्व के नहीं थे।”
कांग्रेस नेता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद एससी/एसटी के लोगों पर अत्याचार बढ़ा है। ऐसे कम से कम 47 हजार अत्याचार और अन्याय की घटनाएँ हो चुकी हैं। उन्होंने कहा “आप कल ही इस पर विधेयक सदन में लाइये, हम इसका समर्थन करेंगे।” इससे पहले प्रश्नकाल में भी इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति माँगते हुये कांग्रेस के सदस्यों ने हँगामा किया था और अध्यक्ष के आसन के समीप आ गये थे। बाद में अध्यक्ष के इस आश्वासन के बाद कि वह शून्यकाल में उन्हें यह मुद्दा उठाने देंगी, कांग्रेस सदस्य अपनी सीटों पर वापस गये।