वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाये जाने वाली लिस्ट से केंद्र सरकार ने नाम हटाते समय यह सोचा भी नहीं होगा कि उसकी इस कार्रवाई से चीफ जस्टिस उसे शर्मशार करके छोड़ेंगे.
एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा ने , गोपाल सुब्रमण्यम का नाम उस पैनल से हटा लेने पर सख्त नाराजगी तो जाहिर की ही थी लेकिन इंडियन एक्सप्रेस ने बुधवार को जो खबर छापी है उसमें कहा गया है कि चीफ जस्टिस ने कानून मंत्री रविशंकर को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा था.
अखबार के अनुसार चीफ जस्टिस ने कानून मंत्री को लिखे अपने पत्र में स्पष्ट हिदायत दी थी कि ‘सरकार आइंदा ऐसा न करे’.
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर करने से पहले उन्होंने 30 जून को सरकार को एक खत लिखा था. जिसमें उन्होंने लिखा था , ‘मेरी जानकारी और सहमति के बिना प्रस्ताव को अलग कर देने को मैं मंजूरी नहीं देता. एकतरफा फैसला का काम कार्यपालिका आइंदा न करे।’
सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम ने जिन चार लोगों के नाम की सिफारिश की थी, उनमें सीनियर वकील गोपाल सुब्रमण्यम का नाम भी था, लेकिन उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया था.
56 वर्षीय सुब्रमण्यम गुजरात दंगों और उसके बाद भाजपा नेता अमित शाह की भूमिका को कटघरे में खड़ा करने का श्रय जाता है. कुछ लोगों का मानना है कि इसी के बाद भाजपा उन्हें जज बनाये जाने के खिलाफ थी. सुब्रमण्यम यूपीए सरकार में सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं.एनडीए सरकार ने जजों की नियुक्ति करने वाले कॉलेजियम को लिखा था कि सुब्रमण्यम की सिफारिश पर फिर से विचार करें.