चुनावी जंग के ऐलान के साथ बिहार के अखबारों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर ली है. यह अच्छा है कि अखबारों में रिपोर्टिंग के प्रति ईमानादर प्रतियोगिता हो. दैनिक भास्कर ने अपने लिए आचार संहिता की घोषणा कर दी है. उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य अखबार भी पत्रकारिता के उच्चमानदंड स्थापित करेंगे.
चुनावों के दौरान अखबारों और न्यूज चैनलों की विश्वस्नीयता अकसर कटघरे में रहती है. कई बार पाठक तो, मीडिया की रिपोर्टिंग और विज्ञापनों में फर्क नहीं कर पाते. पाठकों के लिए यह भी एक गंभीर सवाल रहता है कि अपोनियन पोल के जरिये किसी न किसी हद तक मतदाताओं को प्रभावित किया जाता है.
बिहार में चुनाव कवरेज के लिए तमाम अखबारों ने अपनी विशेष टीम बना रखी है. लगभग हर अखबार इस बात की घोषणा करते हैं कि वह पेड न्यूज नहीं छापेंगे. लगभग हर अखबार सैद्धांतिक रूप से अपने लिए आचार संहिता का ऐलान करते हैं.
बुधवार को, जब चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान किया तो दैनिक भास्कर ने उसी दिन अपने पत्रकारों के लिए आचार संहिता की घोषणा कर दी. इस आचार संहिता में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि उसका कोई भी पत्रकार किसी भी पार्टी या दल के नेता से कोई उपहार नहीं स्वीकार करेगा. इतना ही नहीं प्रेस कांफ्रेंस में दिये गये उपहार को भी वे स्वीकार नहीं करेंगे. सबसे बड़ी बात यह है कि अखबार ने खुद से घोषित आचार संहिता का उल्लंघन होने पर शिकायत भी सुनेगा. यानी किसी पाठक को यह लगे कि भास्कर के किसी पत्रकार की रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण है तो वह सीधे कम्पलेन कर सकता है.
भास्कर की इस पहल के बाद संभव है कि हिंदुस्तान, प्रभात खबर, जागरण जैसे बड़े हिंदी अखबार भी अपने लिए खुद ही आचार संहिता की घोषणा करें और उस पर अमल करने की कोशिश करेंगे. हालांकि अखबारों के एडिटोरियल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हिंदुस्तान और प्रभात खबर ने भी अपने पत्रकारों के लिए लक्षमण रेखा खीची है.
कुछ इस तरह की उम्मीद न्यूज चैनलों से भी पाठक करते हैं.
नौकरशाही डॉट इन इस पूरे चुनाव के दौरान अपने लिए एक खास दायित्व को चुना है. हम इस पूरे एलेक्शन के दौरान अखबारों की खबरों पर खबर छापेंगे. हम अपने पाठकों को यह दिखाना चाहेंगे कि किस अखबार ने चुनावी खबर को कैसे प्रकाशित किया है.
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