बिहार विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनके मुताबिक उम्मीदवार अब 20 हजार रुपये से ज्यादा की रकम नगद नहीं ले सकेंगे। इसके साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान किराये पर ली गईं गाड़ियों का खर्च भी अब पार्टी नहीं, बल्कि उम्मीदवार के चुनावी खर्च में जोड़ा जाएगा।
उम्मीदवार को खोलना होगा एकाउंट
नव भारत टाइम्स की खबर के अनुसार, उम्मीदवारों को 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे और लोन के लेन-देन के हिसाब के लिए एक अलग बैंक अकाउंट खुलवाना होगा। राजनीतिक दलों की तरह उम्मीदवारों को भी इस तरह का सारा लेन-देन क्रॉस पेई चेक या बैंक ड्राफ्ट के जरिये किया जाएगा। इन सब प्रक्रियाओं की शुरुआत बिहार विधानसभा चुनावों से हो रही है। हाल ही में कुछ राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारी मात्रा में नगदी जब्त की गई थी। 2014 संसदीय चुनावों के दौरान चुनाव आयोग और आयकर विभाग की टीम ने उम्मीदवारों के सहयोगियों से 275 करोड़ रुपये जब्त किये थे। कई उम्मीदवारों से जब इस भारी रकम के बारे में सवाल पूछे गए, तो उन्होंने इसे चुनाव प्रचार के लिए पार्टी का पैसा बताया।
पार्टी उम्मीदवारों को कैश नहीं देगी
9 जून को दिए गए ताजा दिशा-निर्देशों के मुताबिक सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को उम्मीदवारों और पार्टियों को इस बाबत सूचित करना होगा कि उन्हें चुनाव प्रचार के खर्च के हिसाब-किताब के लिए अलग बैंक अकाउंट खोलना होगा। इसके साथ ही पार्टियों से कहा गया है कि वे उम्मीदवारों को पैसा नगद में देने के बजाए उनके अकाउंट में ट्रांसफर करें। कई उम्मीदवार बड़ी संख्या में गाड़ियां किराये पर लेते हैं लेकिन इन्हें अपने चुनावी खर्च में जोड़कर नहीं बताते। इस बारे में भी चुनाव आयोग को कई शिकायतें मिली हैं। खर्च सीमा के कारण कई बार उम्मीदवार अपने चुनाव खर्च को कम करके बताते हैं। चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों पर तो खर्च की सीमा लगा रखी है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों पर इस तरह की कोई बंदिश नहीं है। इसीलिए अधिकतर उम्मीदवार चुनाव आयोग के पूछने पर अपने खर्च को पार्टी खर्च बताते हैं।