लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के आज दूसरे दिन राजधानी पटना समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी समेत अन्य नदियों और तालाबों में स्नान किया। गंगा नदी में आज सुबह स्नान करने के बाद व्रती समेत उनके परिवार के सदस्य गंगाजल लेकर अपने घर लौटे और पूजा की तैयारी में जुट गये हैं। व्रत का आज दूसरा दिन है।
इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है, जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि होती है। ऐसी मान्यता है कि खरना के दिन यदि किसी भी तरह की आवाज हो तो व्रती खाना वहीं छोड़ देते हैं। इसलिए इस दिन लोग ये ध्यान रखते हैं कि व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के समय आसपास शोर-शराबा ना हो।
श्रद्धालु आज पूरे दिन बिना जलग्रहण किये उपवास रखने के बाद सूर्यास्त होने पर भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करेगें और उसके बाद दूध एवं गुड़ से बनी खीर का भोग लगाकर उसे सिर्फ एक बार खायेंगे तथा जब तक चांद नजर आयेगा तब तक ही जल ग्रहण कर सकेंगे। उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू हो जायेगा।
महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर फल एवं कंद मूल से प्रथम अर्घ्य अर्पित करते हैं । पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देते हैं। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर राजधानी पटना समेत पूरा बिहार भक्ति के रंग सराबोर प्रदेश के सभी जिलों में साफ-सफाई से लेकर सुरक्षा और अन्य तैयारियां पूरी कर ली गयी है।