छपरा में कैसे भड़का दंगा? कौन थे षड्यंत्रकारी? और पुलिस की क्या थी भूमिका? इस जांच रिपोर्ट को पढ़ कर आप दंग रह जायेंगे.
पिछले दिनों फेसबुक पर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाली तस्वीरें डालने के बाद छपरा में दंगा हो गया. तीन दिनों तक दंगाइयों ने तांडव मचाया. दंगाई छुट्टा घूम-घूम कर घरों में तोड़-फोड़ व आग लगाते रहे. धार्मिक स्थलों को भी नहीं बख्शा गया.
हलात बिगड़ने के बाद पुलिस की जब फजीहत हुई तो पटना से पुलिसबल भेजा गया तब तक दर्जनों घरों को तबाह कर दिया गया था. इस मामले में फेसबुक पर धार्मिक भावना भड़काने वाल जितना दोषी है उतना ही दोषी वो लोग भी हैं जिन्होंने दंगा मचाया.
पिछले दिनों जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) ने विभिन्न मित्र संगठनों \व्यक्तियों का एक साझा जाँच दल घटना के प्रभावित क्षेत्र में भेजा. यहां पढ़िए जांच दल की रिपोर्ट-
जांच दल में इस जांच दल में जेपी सेनानी व सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट मणिलाल, व महेन्द्र, पत्रकार सीटू तिवारी, परसा के सगुनी पंचायत की सरपंच बिन्दू देवी, सामाजिक कार्यकर्ता मिथिलेश यादव, जियाउल कमर और भूपेन्द्र राय थे.जब कि स्थानीय लोगों में पंकज, संतोष सिंह व संजीव कुमार शर्मा और प्रमोद शामिल थे।
जांचदल की रिपोर्ट
छपरा में हुये तनाव की घटना प्रशासनीक निष्क्रीयता के कारण स्थानीय स्तर पर घटी पर विश्व हिन्दू परिषद, बजरंगदल व उसके सरंक्षको ने उसे रणनीति के तहत पूरे जिलेमें फैलाया जिससे स्थिति भयावह हुई।
अभी भी ग्रामीण इलाकों में पीड़ित लोग अपनी हुई क्षति की प्राथमिकी भी डर की वजह से नहीं करा पा रहे है. अल्पसंख्यकों में भय व्याप्त है।इस घटना की निरपेक्ष जांच एस0आई0टी0से कराते हुए पीड़ितों को एक सप्ताह में उचित मुआवजा दिलायी जाये साथ ही सद्भावना कायम करने के सभी प्रयास किये जायें।
प्रभावित इलाके का भ्रमण करने व स्थानीय, पीड़ित लोगों व प्रत्यक्ष दर्शियों से बातचीत करने पर पता चला है कि मकेर में स्थानीय लोगों ने फोटो/विडियोवायरल की सूचनापुलिस को दी थी और 4 अगस्त को ही पुलिस से अगले दिन होने वाले बंद व उपद्रव की आशंका जतायी थी।पर पुलिस हाथ पर हाथ धरे घटना को उपद्रव में बदलने का इन्तजार करती रही।
खुफिया विभाग और सरकारी महकमा ने भी कुछ नहीं किया। घटना के दिन सुबह सात-आठ बजे पच्चास की संख्या में लोग आये तोड़ फोड़ कर चले गये।बाहरी लोग भी आने लगे पर पुलिसप्रषासन कुछ नही किया।दूसरी बार 9 बजे के लगभग फिर भीड़ मुबारक के घर आयी( फोटो वायरल करने का आरोप इन पर है) और उसके साथ-साथ आसपास में तोड़ फोड़ करने लगी।फिर भी प्रशसन ने कुछ नहीं किया जिसके बाद बढे मनोबल के साथ और संगठित और उग्र हो कर दंगा करने की नीयत से तिसरी बार हजारों की संख्या में दोपहर 12 से एक बजे के बीच लोग आये और घरो व दुकानों को चिन्हित करके आगजनी लूटपाट तोड़-फोड़ की।
सर पर बजरं गदल की पट्टी, हर हर महादेव के नारे
मस्जिदों को भी निशना बनाकर क्षतिग्रस्त किया गया।पीड़ित लोगों ने यह भी बताया कि इसमे शामिल लोगों के सर पर पीला पट्टी में बजरंगदल लिखाथा। जय श्रीराम, जय बजरंगबली, हरहर महादेव के नारे लगारहे थे।इसको संगठित रूप से पूरे जिलेमें व आसपास के जिलों में फैलाया गया।
उन लोगों ने कहा कि मकेर, सोनहो, अंजनी अमनौर में पीड़ित लोग अपने हुए क्षति का प्राथमिकी भीडरसे नही कराये है।
बाहर पलायन करके गये लोग,परिजनों की असुरक्षा के कारण घर लौट आये है।छोटी-मोटी दुकान जैसे पान, चूड़ी लहठी, मुर्गा/मीट, दर्जी, साइकिल इत्यादि का व्यवसाय
करके अपनी आजीविका चलाने वाले लोग इस नुकसान से बर्बाद हो गये है.
डर का माहौल
आजीविका गवांने के बाद डर के महौल में दूसरे के यहां मजदूरीभी नही कर सकते और रोटी के लाले पडे है।अंजनी में लोगों ने यहां तक बताया कि मुस्लिम लोगों को अब भीवहां दुकान लगाने नही दिया जा रहा है।
अफवाह कभी-कभी उड़ रही है।राजनैतिक दल या सामाजिक संगठन के लोग भी इन ग्रामीण इलाकों में नहीं जा रहे है जिससे सद्भावना की कोषिषें कमजोर है।
ऐसी परिस्थिति बन गयी है कि स्थानीय पुलिस इस घटना का निरपेक्ष जांच नही करस कती इसलिए सरकार को तत्काल एस0 आई0टी0 गठित कराते हुए फास्टट्रेक कोर्ट में सुनवायी कराये।पूरे मामले में बजरंगदल, विश्व हिन्दू परिषद व इनके संरक्षक संगठनों की भूमिका की जांच हो।जिन लोगों द्वारा प्राथमिकी नहीं दर्ज करायी गयी है उन लोगों के बयान दर्ज कर प्राथमिकी दर्ज करे।दोषियों पर कठोर कार्यवायी की जाये।पीड़ितों को मुआवजा देकर उन्हे पुनर्वासित कराया जाये।
सद्भावना की वातावरण निर्माण किया जाय।जांच दल के सदस्यों ने यह भी कहा कि उन लोगों द्वारा भीवहां के लोगों को गोलबन्द कर सद्भावना मंच बना ने वषांति सम्मेलनों का आयोजनों के प्रयास किया जायेगा।