आतंकी अफजल गुरु की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम के बाद जेएनयू स्टेडेंट्स युनियन के अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया में कोहराम मच गया है.
इस गिरफ्तारी पर पक्ष और विपक्ष में तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है.
गौरतलब है कि मंगलवार शाम को जेएनयू में संसद हमले में शामिल आतंकी अफजल गुरु की बरसी पर आयोजित किए गए एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में कुछ स्टूडेंट्स ने देश विरोधी नारे लगाए थे।
इस के बाद मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि देश विरोधी नारे लगाने वालों को बख्शा नहीं जायेगा.
जबकि सोशल मीडिया में बड़ी संख्या में लोग इस गिरफ्तारी को लोकतंत्र की हत्या बता रहे हैं तो दूसरी तरफ इस गिरफ्तारी के समर्थन में भी लोग उतर आये हैं.
सुयश सुप्रभ फेसुक पर लिखते हैं यह दमन एक ऐसे तथाकथित अपराध के लिए किया जा रहा है जिसमें कैंपस का कोई राजनीतिक संगठन नहीं शामिल था। इस कार्यक्रम को कुछ व्यक्तियों ने आयोजित किया था जिनकी अतिवादी विचारधारा से अधिकतर वामपंथी संगठनों की असहमति रही है। हालाँकि आपत्तिजनक नारे भी बाहर के लोगों ने लगाए थे न कि कैंपस के उन लोगों ने।कन्हैया का नाम एफ़आईआर में भी नहीं शामिल था। हमारे साथी को इस तरह कैंपस से उठा ले जाना अघोषित आपातकाल का प्रमाण है। मीडिया के साथियों से यह अनुरोध है कि वे इस मामले में पुलिस पर दबाव बनाएँ और कैंपसों की आवाज़ को कुचलने के षड्यंत्र को नाकाम करें। आज आपकी आवाज़ नहीं उठेगी तो कल आपके लिए भी कोई आवाज़ नहीं उठाएगा
फेसबुक पर पत्रकार अतुल उपाध्याय ने लिखा है कि- एक भी गद्दार बचना नहीं चाहिये.
जबकि रंगकर्मी गोपाल शून्य ने लिखा है कि हॉस्टल्स में स्टूडेंट एक्टिविस्ट की गिरफ़्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। आरएसएस, बीजेपी और एबीभीपी के एक्टिविस्ट जेएनयू के गेट को ब्लाक कर दिया है। कहा जाय तो जेएनयू में आपातकालीन ‘संघतंत्र ‘ लागू हो चूका है. दिलीप मंडल ने लिखा है ब्राह्मणवादी मीडिया के अफजल राग से रोहित वेमुला का आंदोलन दबने वाला होता, तो दब चुका होता.
भावेश भारद्वाज लिखते हैं यह देश किसी की व्यक्तिगत जागीर नहीं. देश जितना हिंदुओं का है उतना ही मुसलमानों का भी, जितना अंबानी – अदानी – मोदी का है उतना ही जे.एन.यु के छात्रों का भी है………
31 % नहीं तय कर सकता कि देश उसी का है और किसी का नहीं बल्कि 7o% कहेगा कि देश किसका है? उसीका है और जेएनयु के छात्र 70 % के साथ हैं
वसीम अकरम त्यागी लिखते हैं- उनका ‘राष्ट्रवाद’ रोहित वेमुला की जान ले चुका है। अब जेएनयू को अखाड़ा बनाया जा रहा है। हैदराबाद विश्विद्यालय से भी चिट्ठी लिखी गईं थीं कि विश्विद्यालय प्रांगण में राष्ट्रविरोधी गतिविधियां चल रही हैं। तत्काल प्रभाव से रोहित समेत पांच छात्रों को हॉस्टल से निकाल दिया गया। अब बारी जेएनयू की है, जेएनयू लंबे समय से तथाकथित राष्ट्रवादियों की आंखों में शूल की तरह चुभता रहा है, वजह साफ है कि यहां आरएसएस की एबीवीपी कभी पैंठ नहीं बना पाई। अब अफजल गुरु के बहाने पर यहां पर तमाम कथित राष्ट्रवादियो को इकट्ठा किया जायेगा, कुछ के मुंह पर कालिख पोती जायेगी.
शौर्य सिंह ने फेसबुक पर लिखा छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देश द्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया l पूरे देश को अब खुल कर सामने आना चाहिए और इस गिरफ्तारी का समर्थन करना चाहिए .
मोजम्मिल हुसैन ने कन्हिया की गिरफ्तारी को जनतंत्र की हत्या बताया है.