गुरुवार को नौकरशाही डॉट इन ने रात होते-होते यह खबर दे दी कि इंजीनियर के ठिकानों पर छापामारी हुई. आज पढ़िये कि निगरानी ने ये काम कैसे अंजाम दिया और क्यों एक नौकरशाह छापामारी को प्रभावित करने की नाकाम कोशिश करते रहे.
नौकरशाही डेस्क
छापेमारे की शुरुआत एक साथ तीन ठिकानों पर हुई. तब पटना नगर निगम के इंजीनियर ललन प्रसाद सिंह मौर्यलो के आफिस में काम निपटा रहे थे. निगरानी के दल ने ललन द्वारा बचाव के हर संभावित उपायों पर ब्रेक लगा दिया था. जैसे ही निगरानी का दल पहुंचा और कार्रवाई शुरू की, ललन प्रसाद सिंह चुपके से खिसक गये. हालांकि निगरानी दल को आभास हो गया कि वह खिसक गये हैं. लेकिन छापामार दस्ते ने ललन के पीछे पड़ने की जरूरत भी नहीं समझी क्योंकि यह छापामारी उनक कार्यालय के अलावा पाटलिपुत्र के उनके आलीशान महलनुमा घर पर भी हो रही थी इसलिय यह तय था कि ललन आफिस से भागने के बाद अपने घर भी नहीं पहुंचेंगे.
हुआ भी वही, उनकी पत्नी ने ललन को फोन करके घर पर हो रही छापेमारी की सूचना दे दी. दूसरी तरफ निगरानीने अपनी दोनों टीम को चौकस भी कर दिया था और छापेमारी की मॉनिटरिंग कर रहे थे. निगरानी ने इस छापामारी के अभियान को इतना गुप्त रखा कि खुद छापारी में शामिल कर्मियों को यह पता नहीं ता कि कार्रवाई कहां करनी है. उन्हें ऐन उस वक्त इसकी जानकारी दी गयी जब वे ठिकाने पर पहुंचे.
आईएएस अफसर से जुड़े तार
ललन के ठिकानों पर पड़ा छापा जाहिरी तौर पर तो महज एक इंजीनियर के ठिकानों पर छापा दिखता है लेकिन ललन के तार कई आईएएस अफसरों से जुड़े हैं. यही कारण है कि जब यह छापामारी चल रही थी तो कई आईएएस अफसरों के होश उड़ गये और नौकरशाही के हलके में खलबली मच गयी. एक आईएएस तो इतने घबराये हुए थे कि उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोकते हुए कई आला अफसरों को देर रात तक फोन घुमाते रहे. लेकिन जब उन्होंने यह समझ लिया कि उनकी कोशिश नाकाम हो रही है तो वह हर कर बैठ गये.
छापेमारी में निगरानी को 30 से ज्यादा बैंक के पासबुक मिले हैं. ये तमाम पासबुक ललन कुमार, उनकी पत्नी और बेटों के नाम पर हैं. इस छापेमारी से पहले ही निगरानी ने यह भी पता लगा लिया था कि ललन का मकान मुम्बई में भी है. जहां के पते पर उनका बैंक अकाउंट भी हैं. छापेमारी में जो जानकारियां मिल रही हैं उससे पता चलता है कि ललन ने अपनी काली कमाई को सहेजने के लिए हर मुम्किन कोशिश की है. इसी के बिना पर ललन ने दो पैनकार्ड भी बनवा रखा है ताकि बैंक ट्रांजेक्शन को अलग दिखाया जा सके. दोनों पैंन कार्ड पर ललन का नाम तो एक है पर ऐड्रेस अलग हैं. ललन के दो पैनकार्ड भी अब उनके लिए बड़ी मुसीबत साबित होंगे.
इस बीच निगरानी ब्यूरो के एडीजी रवींद्र कुमार ने छापेमारी के दूसरे दिन प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि ललन को वेतन से प्राप्त होने वाली अब तक की कुल राशि से हुई आमदनी 51 लाख रुपये तक ही हो सकती है लेकिन पाटलिपुत्र के घर की कीमत ही 1.5 करोड़ से ज्यादा है. इस प्रकार 30 बैंक अकाउंट में रखे गये पैसों का हिसाब किताब अभी होना बाकी है. वहीं छापेमारी से जो जानकारी मिली है उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि ललन ने अपनी काली कमाई का बड़ा हिस्सा रियल स्टेट में इंवेस्ट किया होगा. इतना ही नहीं निगरानी को ललन सिंह के कुछ प्लाट दिल्ली और कुछ मुम्बई होने की पुख्ता जानकारी मिल चुकी है.
निगरानी महकमे ने हाल ही में कुछ तेजतर्रार अफसरों को जो राज्य के विभिन्न जगहों पर तैनात थे उन्हें पटना बुलाया और इसी दल ने यह छापामारी की है.