जदयू नेता नीतीश कुमार और मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बीच सुलह-समझौते के बाद भाजपा और आक्रमक हो गयी है। भाजपा ने कहा कि विकास ठप हो गया है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नेता नन्द किशोर यादव ने आज कहा कि जदयू नेताओं की लड़ाई में राज्य में विकास की नाव डूब रही है। श्री यादव ने यहां कहा कि सत्तारुढ जदयू सरकार केन्द्र पर उपेक्षा का आरोप लगाती है या अधिक सहायता की मांग करती है। लेकिन हकीकत यह है कि बिहार सरकार के 12 से अधिक विभाग केन्द्र से आवंटित विकास की राशि को खर्च करने में काफी पीछें हैं।
नौकरशाहीडॉटइन डेस्क
उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्षा 2014-15 के छह महीनों में सडक, स्वास्थ्य, बिजली और शिक्षा जैसे विभाग में केन्द्र से मिली राशि का 25 प्रतिशत भी खर्च नहीं की जा सकी है। प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि बिहार सरकार केन्द्र से मिली 56 लाख 42 हजार करोड़ रुपये में से मात्र 20 लाख 10 हजार करोड रुपये ही खर्च कर पाई है और ऐसे में जदयू के नेता केन्द्र से विशेष राज्य का दर्जा मांगने के लिए राजनीतिक बयानबाजी और धरना देकर लोगों को गुमराह करते है। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि श्री कुमार के दबाव और हस्तक्षेप की वजह से मुख्यमंत्री श्री मांझी का अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं रह गया है।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद जदयू की ओर से यह कहा गया कि अब सब कुछ ठीक हो गया है, लेकिन श्री कुमार और जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को यह बताना चाहिए कि ऐसी नौबत ही क्यों आई। लड़ाई जदयू के अंदर था और पत्थर भाजपा पर फेंके गए। लोकसभा चुनाव में राज्य के मतदाताओं ने आधी सजा सुनाई थी और बाकी का कसर अगले विधनसभा चुनाव में पूरी होने वाली है।