बिहारी स्वाभिमान और डीएनए की ‘पवित्रता’ की लड़ाई लड़ रहे नीतीश कुमार के पांच सांसद अपना डीएनए जांच नहीं कराएंगे। पीएमओ भेजे जा रहे नाखून व बाल के सेंपल में उनकी भागीदारी नहीं होगी। इसकी वजह है कि पांच सांसदों का डीएनए बिहार का नहीं है और वे बिहार की माटी से बने-बढ़े नहीं हैं।
वीरेंद्र यादव
जदयू ने पार्टी कार्यकर्ताओं के नाखून व बाल के सेंपल प्रधानमंत्री कार्यालय भेजने का सिलसिला शुरू कर दिया है। इसकी खेप भेजी जा रही है। यह सिलसिला लंबा चलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सीएम नीतीश कुमार के –‘राजनीतिक डीएन’ पर सवाल उठाए जाने के बाद जदयू ने ‘शब्द वापसी’ अभियान की शुरुआत की है और डीएनए जांच के लिए सेंपल भेजने का फैसला लिया गया है।
जदयू के 12 में से 5 सांसद गैरबिहारी
लेकिन सबसे बड़ी विडंबना है कि जदयू के ही पांच राज्य सभा सांसद अपना डीएनए जांच नहीं करवा सकते हैं, क्योंकि वे बिहार के रहने वाले नहीं हैं। नीतीश कुमार ने पीएम के बयान को ‘बिहार के स्वाभिमान’ के खिलाफ बताया था, यूपी या मध्यप्रदेश के खिलाफ नहीं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव मूलत: मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं, जबकि सांसद हरिवंश झारखंड के और केसी त्यागी, पवन वर्मा और गुलाम रसूल यूपी के रहने वाले हैं। यही वजह है कि ये पांच नीतीश कुमार के सबसे बड़े अभियान से बाहर हो गए हैं। जदयू के 12 राज्य सभा सांसदों में से 5 गैरबिहारी हैं। नीतीश कुमार को जब सत्ता का लाभ बांटना होता है तो गैरबिहारी ही मिलते हैं और जब सत्ता पर संकट आया है तो बिहार की याद आ रही है। सीएम इस वक्त वह चाहकर भी अपने पांच गैरबिहारी सांसदों का डीएनए जांच नहीं करवा सकते हैं, भले एक-एक कार्यकर्ता से सेंपल जांच करवाने की अपील कर रहे हों।