जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार के खिलाफ झंडा उठाए बागी विधायकों ने कानून की पहली लड़ाई जीत ली है। नीतीश कुमार और स्पीकर उदय नारायण चौधरी के खिलाफ अभियान चला रहे बर्खास्त किए गए चार विधायकों ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, नीरज कुमार बबलू, राहुल शर्मा और रवींद्र राय की सदस्यता पटना उच्च न्यायालय ने बहाल कर दी है। पटना उच्च न्यायालय ने स्पीकर कोर्ट के फैसले के खिलाफ इन विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यसभा के उपचुनाव में बागी विधायकों की गतिविधि यानी निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन दल-बदल कानून के दायरे में नहीं आता है।
नौकरीशाही ब्यूरो
पटना उच्च न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद की पूरी गुंजाईश है और यह जरूरी भी है। कोर्ट ने कहा कि उपचुनाव में बागी विधायकों ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा उपचुनाव में उम्मीदवार शरद यादव का विरोध नहीं किया था। इसका मतलब यह है कि ये विधायक पार्टी की नीतियों के खिलाफ नहीं थे और पार्टी में इनकी आस्था बरकरार है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि स्पीकर कोर्ट का फैसला तथ्यों के हटकर था।
पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद नीतीश कुमार के खेमे में मायूसी छा गयी है। स्पीकर का चेहरा भी उतर गया है। वह मीडिया वालों से बात भी नहीं कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि स्पीकर कोर्ट ने पिछले एक नंवबर को जदयू के बागी विधायकों की दल-बदल कानून के तहत विधान सभा की सदस्यता समाप्त कर दी थी। इसके खिलाफ ये विधायक हाईकोर्ट में गए थे।