जदयू के चकाई से विधायक सुमित कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हिन्दी भाषा के प्रति प्रेम छलावा है। उन्‍होंने कहा कि श्री मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभालते ही सरकारी कार्यालयों में हिन्‍दी में काम करने पर जोर दिया था। खुद यूएनओ में हिन्दी में भाषण देकर वाहवाही लूटी। लेकिन, आप उनके प्रधानमंत्री कार्यालय के फेसबुक पेज (PMO India) अथवा, निजी फेसबुक पेज (Narendra Modi) पर जाएंगे तो पायेंगे कि हिन्दी तो यहां काफी उपेक्षित है। इनका लगभग सारा पोस्ट अंग्रेजी में आता है। यह हिन्दी प्रेम के नाम पर कैसा छलावा है?

 

विधायक ने कहा कि मोदी की पार्टी भाजपा भी हिन्दी और हिन्दू की बात करने का ढ़ोंग करती रही है। सच भी यही है कि यह सांप्रदायिकता ही नहीं, बल्कि तमाम भावनात्मक मुद्दों का सहारा सिर्फ भावनात्मक दोहन करने के लिए करती है। उन्‍होंने कहा कि आज देश भीषण मंहगाई से त्रस्त है। गरीबों के मुंह का निवाला आलू तीस रूपए किलो बिक रहा है। ऐसे में दुनिया भर में भारत के प्रधानमंत्री अपना डंका पीटवाने में जुटे हुए हैं। सुमित ने कहा कि पीएम पूरी दुनिया में सबसे सस्ते दर पर मंगल ग्रह पर यान भेजने की उपलब्धि का ढ़िढोरा पीट रहे हैं।कहते फिर रहे हैं कि मात्र सात रूपए किमी की लागत से भारत ने मंगलयान भेजा। लेकिन, किसी को यह नहीं बताते कि भारत के वैज्ञानिकों ने साढ़े चार सौ करोड़ में मंगलयान भेजा।  कैसा विरोधाभास है कि वहीं वह खुद 2500 करोड़ में एक मूर्ति बनवा रहे हैं। इस नजरिए से उनके दावे हास्यास्पद प्रतीत होते हैं।

 

विधायक  ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति भी कमाल की है। चीन और जापान दोनों सामरिक और आर्थिक नजरिए से दो ध्रुव पर हैं। यह दोनों को भारत का स्वभाविक मित्र बताते हैं। वहीं चीन और अमेरिका की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है, भारत के प्रधानमंत्री इन दोनों से भारत के मधुर संबंधों की दुहाई देते हैं। बताईये भला चीन के राष्‍ट्रपति के भारत दौरे के दौरान जब हमारे प्रधानमंत्री उन्हें झूला झुला रहे थे। तब, उनके सैनिक हमारी संप्रभुता पर प्रहार करते हुए हमारे सीमा क्षेत्र में घुस हमारे भू-भाग पर कब्जा जमा रहे थे? दूसरी तरफ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अपने संगठन की स्थापना दिवस पर चीन को इसे देश के लिए खतरा बता रहे थे? यह कैसा छद्म है?

 

By Editor


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