मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि झारखण्ड बनने के बाद राज्य के अधिकांश वन क्षेत्र झारखण्ड में चले गये। राज्य के कुछ ही क्षेत्रों में वन दिखता था। वन विभाग का इतना बड़ा नेटवर्क था, मगर उनके पास विकास का काम नहीं था। सोचा गया कि ग्रीन कवर को बढ़ाना है। इस दिशा में सार्थक पहल की गयी और अब उसका परिणाम दिख रहा है।
26.61 करोड़ की लागत से बना
पटना में मुख्यमंत्री ने 26.61 करोड़ रूपये की लागत से नवनिर्मित भव्य ‘अरण्य भवन’ को राज्य की जनता को समर्पित करते हुए कहा कि ‘अरण्य भवन’ का निर्माण ग्रीन बिल्डिंग के तर्ज पर हुआ है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एवं वन निदेशालय के संचालन के साथ-साथ दूसरी अन्य गतिविधियां यहां से संचालित होगी। हरियाली मिशन की गतिविधियों का अनुश्रवण यहां से किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हरियाली के क्षेत्र को बढ़ाये जाने के लिये उन्होंने अपनी पार्टी में तय किया कि पार्टी के जो भी सदस्य होंगे, उन्हें कम से कम एक वृक्ष लगाना होगा। पार्टी के लिये यह काम कठिन था। राजनीतिक कार्यकर्ताओं से पेड़ लगवाना कठिन काम था, फिर भी इस अभियान में दस लाख से अधिक वृक्ष लगाये गये। समारोह की अध्यक्षता वन एवं पर्यावरण मंत्री पीके शाही ने की।
‘गाछ गुच्छ’ का लोकार्पण
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पर्यावरण एवं वन विभाग की एक पुस्तक ‘गाछ गुच्छ’ का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री को वन प्रमण्डल पदाधिकारी गोपाल सिंह ने वन विभाग की ओर से प्रतीक चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। पर्यावरण एवं वन के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने विभाग की उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने भी इस अवसर पर अपने विचारों को रखा। धन्यवाद ज्ञापन प्रधान मुख्य वन संरक्षक बशीर अहमद खान ने किया। इस अवसर पर आपदा प्रबंधन प्राधिकार के उपाध्यक्ष अनिल कुमार सिन्हा, प्रधान सचिव भवन निर्माण सह प्रबंध निदेशक आधारभूत संरचना विकास प्राधिकरण अंशुली आर्या, मुख्यमंत्री के सचिव चंचल कुमार सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।