दशहरा हादसे को लेकर दो दिनों की जनसुनवाई पूरी हो गयी। दो दिनों में केवल 67 लोगों ने जांच टीम के सामने अपना बयान दर्ज करवाया। सुनवाई में गृहविभाग के प्रधान सचिव अमीर सुबहानी और एडीजी गुप्तेश्वर पांडेय ने लोगों की बातें सुनी और बयान दर्ज किया। अधिकतर लोगों ने यहां साफ कहा कि प्रशासनिक लापरवाही ने 33 लोगों की जान ले ली। वहीं गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने कहा कि लोगों के बयान से कई चीजे सामने आई हैं। कमेटी जल्द ही सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी। साथ ही उन्होंने कहा कि अधिकारियों के भी बयान जल्द ही दर्ज करवा लिए जाएंगे।
इस पूरे प्रकरण में तत्कालीन डीएम और एसएसपी के बयान को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। चूंकि, रावण वध से जुड़ी पूरी सुरक्षा व्यवस्था इन्हीं अधिकारियों के कंधे पर थी। ऐसे में जांच कमेटी के लिए यह जानना जरूरी है कि क्या तैयारी की गई थी? कहां चूक हुई? हादसे का कारण वे क्या मानते हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब तलाशने की कोशिश होगी।
उल्लेखनीय है कि हादसे के वक्त पूरे गांधी मैदान में लाखों लोग मौजूद थे। हजारों लोग भगदड़ में भी फंसे होंगे, लेकिन अपना पक्ष रखने में लोगों की रुचि नहीं दिखी। जबकि प्रशासन को उम्मीद थी कि बड़ी संख्या प्रत्यक्षदर्शी और भगदड़ में फंसे लोग अपना बयान दर्ज कराएंगे। जांच टीम अब आगे की कार्रवाई भी करेगी और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश करेगी। केंद्र सरकार ने भी इस हादसे पर रिपोर्ट मांगी है। इसलिए राज्य सरकार जल्द से जल्द से रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को भेज देना चाहती है।